एलडीए में बड़ा घोटाला! 97 अवैध टाउनशिप का भंडाफोड़, अब इंजीनियरों पर गिरेगी गाज

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में भ्रष्टाचार और लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। एलडीए के प्रवर्तन विभाग के दो अवर अभियंताओं पर 97 अवैध टाउनशिपों को गिराने के आदेशों का पालन न करने का गंभीर आरोप लगा है। यह खुलासा तब हुआ जब विभाग ने ऑनलाइन लोकेशन के जरिए अवैध प्लॉटिंग की समीक्षा की और पाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद ध्वस्तीकरण की कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले के उजागर होते ही प्राधिकरण में हड़कंप मच गया है।

कोर्ट के आदेश की अनदेखी

जोन दो के जोनल अधिकारी विराग करवरिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विहित प्राधिकारी की अदालत ने करीब दो से तीन महीने पहले इन 97 टाउनशिपों को चिन्हित कर ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके, प्रवर्तन विभाग के अवर अभियंता दिनेश कुमार और विपिन बिहारी राय ने कार्रवाई नहीं की। अब जोनल अधिकारी ने दोनों अभियंताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार से रिपोर्ट तलब की गई है। आदेश दिया गया है कि यदि किसी सक्षम न्यायालय से स्थगन नहीं है, तो 15 दिनों के भीतर कार्रवाई पूरी की जाए।

Also Read:लखनऊ: अंबी बिष्ट समेत 5 के खिलाफ FIR, LDA से जुड़ा मामला, विजिलेंस जांच के बाद कार्रवाई

बिजनौर और रायबरेली रोड पर फैली अवैध प्लॉटिंग

एलडीए की रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध टाउनशिप बिजनौर रोड और रायबरेली रोड के दोनों ओर फैली हैं। बिजनौर रोड पर शहीद पथ के आगे सीआरपीएफ कॉलोनी के आसपास और रायबरेली रोड पर कई जगहों पर सरकारी व प्राधिकरण की जमीन पर भी कब्जा कर कॉलोनियां विकसित की गई हैं। इन अवैध टाउनशिपों के कारण शहर की नियोजित विकास योजना पर भी असर पड़ रहा है।

तीन अभियंताओं पर अनुशासनिक कार्रवाई

मामले में एलडीए के तीन अभियंता, वीके राय, सुभाष चंद्र शर्मा और भानु प्रकाश वर्मा को अवैध निर्माण मामलों में दोषी पाया गया है। इनमें से भानु प्रकाश वर्मा को पहले ही निलंबित किया जा चुका है, और अब सभी के खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है। अपर आयुक्त प्रशासन राधेश्याम ने इस संबंध में एलडीए उपाध्यक्ष से सभी दस्तावेज मांगे हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब की जांच में भी सरकारी जमीन पर अवैध टाउनशिप विकसित होने की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद तत्कालीन अभियंता भरत पांडे को निलंबित किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें चुपचाप बहाल कर प्रवर्तन विभाग में दोबारा तैनात कर दिया गया।

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं.)