Bihar Election 2025: 6 और 11 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में मुख्य मुकाबला नितीश कुमार (Nitish Kumar) की एनडीए और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की महागठबंधन के बीच है। 243 सीटों पर चल रहे इस चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी एक अप्रत्याशित असर डाल सकती है। चुनाव के परिणाम 14 नवंबर को आने वाले हैं, और सभी दल अपने वोटबैंक और सामाजिक कल्याण योजनाओं के दम पर जीत का प्रयास कर रहे हैं।
एनडीए और महागठबंधन की स्थिति
एनडीए में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी(आरवी), हम(एस) और आरएलजेडी शामिल हैं। C-Voter के सर्वेक्षण के अनुसार एनडीए को 131-150 सीटें मिलने का अनुमान है, जहां नितीश के सुशासन और महिलाओं के लिए योजनाएं जैसे मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना प्रमुख हैं। महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस हैं, जहां आरजेडी 143 और कांग्रेस 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि, सीट शेयरिंग विवाद और दोस्ताना लड़ाइयों ने महागठबंधन के लिए अनिश्चितता बढ़ा दी है। IANS-Matrize सर्वेक्षण के अनुसार एनडीए 42% और महागठबंधन 38% वोट शेयर हासिल कर सकता है।
क्या नितीश कुमार का यह अंतिम चुनाव है?
नितीश कुमार की उम्र (74 वर्ष) और स्वास्थ्य स्थिति के कारण यह चर्चा है कि 2025 उनका अंतिम चुनाव हो सकता है। उन्होंने स्वयं कहा, मैं वहीं वापस आ गया हूँ, जहाँ मेरा स्थान है’, जिससे एनडीए में उनकी निष्ठा जाहिर होती है। विश्लेषक ,उनके ‘पहले बहुत बुरा हाल था’ वाले बयान को विदाई का संकेत मान रहे हैं।
कांग्रेस की भूमिका और राहुल गांधी
कांग्रेस महागठबंधन में केवल 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, और तेजस्वी यादव की लोकप्रियता ने कांग्रेस की भूमिका को सीमित कर दिया है। मुख्य सवाल यह है कि राहुल गांधी और पार्टी नेतृत्व की रणनीति क्या है और क्या वे महागठबंधन में सिर्फ ‘दूसरे पायदान’ पर संतुष्ट हैं। वरिष्ठ संवाददाता राशीद कीवाई के अनुसार, कांग्रेस की भूमिका अस्पष्ट है और पार्टी के शीर्ष नेता बिहार जीतने के लिए स्पष्ट रणनीति नहीं दिखा रहे हैं।
एक्स-फैक्टर: प्रशांत किशोर की जन सुराज
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सर्वेक्षण के अनुसार पार्टी 4-6 सीटें जीत सकती है, लेकिन एनडीए के वोट शेयर को प्रभावित कर सकती है। किशोर ने कहा, “जन सुराज या तो 10 सीटें पाएगी या 150, बीच में कुछ नहीं।” विशेषज्ञ इसे “2020 के चिराग पासवान” की तरह मानते हैं, जो गठबंधन समीकरण को हिला सकता है।
सहयोगी दलों की ताकत और कमजोरियां
एनडीए के सहयोगियों में चिराग पासवान (एलजेपी-आरवी) की ताकत पासवान वोट बैंक है, लेकिन रिकॉर्ड कमजोर है। जीतन राम मंझी (हम-एस) महादलित वोट बैंक के लिए मजबूत हैं, लेकिन खुद को कम आंका गया महसूस कर रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा (आरएलजेडी) के पास कोइरी वोट बैंक है, लेकिन गठबंधन में sidelined महसूस करते हैं।
पिछड़े वर्गों के लिए नेताओं की उपलब्धियां
नितीश कुमार ने EBC आरक्षण बढ़ाया और महादलित योजनाएं लागू की। तेजस्वी यादव ने OBC रोजगार और जातिगत जनगणना के लिए वादे किए। मंझी ने महादलित विकास मिशन, स्कूल और छात्रवृत्तियां दी। चिराग पासवान SC सशक्तिकरण पर जोर देते हैं, लेकिन रिकॉर्ड कमजोर है। उपेंद्र कुशवाहा ने EBC छात्रवृत्ति और OBC आरक्षण की पहल की। प्रशांत किशोर ने EBC नीति का वादा किया है, लेकिन कोई पूर्व रिकॉर्ड नहीं है। कुल मिलाकर, नेता सामाजिक कल्याण और आरक्षण के मिश्रित प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आलोचकों के अनुसार ठोस परिणाम सीमित हैं।



















































