यूपी: प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान सुरक्षा एजेंसियों के लिए लंबे समय से चुनौती बनी हुई है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को अक्सर इनकी असली पहचान सत्यापित करने में कठिनाई आती है। इसी कारण अब इन्हें चिन्हित कर सत्यापन पूरा होने तक डिटेंशन सेंटर में रखने की व्यापक तैयारी की जा रही है। इन सेंटरों में विशेष पुलिस टीमें तैनात की जाएंगी, जो हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखेंगी।
पूर्वी व पश्चिमी यूपी में बड़े सेंटर प्रस्तावित
सूत्रों के अनुसार शुरुआती चरण में पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दो बड़े डिटेंशन सेंटर स्थापित करने पर विचार चल रहा है। इसके बाद प्रत्येक जिले में ऐसे सेंटर बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही हर जिले में अस्थायी डिटेंशन सेंटर स्थापित करने और घुसपैठियों की धरपकड़ तेज करने के निर्देश दे चुके हैं। यहां उन्हें रखकर कानूनी प्रक्रिया के तहत उनके देश वापस भेजने की कार्रवाई पूरी की जाएगी।
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खाली सरकारी भवनों में बनाए जाएंगे अस्थायी सेंटर
दिल्ली मॉडल की तर्ज पर प्रदेश में खाली पड़े सरकारी भवनों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और कुछ जिलों में पुलिस लाइन के स्थानों को अस्थायी डिटेंशन सेंटर के लिए देखा जा रहा है। इसका उद्देश्य सुरक्षा के साथ घुसपैठियों के रहने, भोजन और अन्य आवश्यक इंतज़ाम सुचारु रूप से सुनिश्चित करना है। विदेशी नागरिकों का सत्यापन पूरा होने तक उन्हें इन्हीं केंद्रों में रखा जाएगा। बांग्लादेशी और रोहिंग्या के साथ-साथ पाकिस्तानी और अफ्रीकी मूल के व्यक्तियों पर भी विशेष निगरानी रखी जाएगी।
गंभीर अपराधों और तस्करी में शामिल रहे घुसपैठिए
प्रदेश में घुसपैठियों के गंभीर अपराध और तस्करी के मामलों में शामिल होने के तथ्य सामने आए हैं। एटीएस ने पिछले वर्षों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए कई अवैध निवासियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें संतकबीरनगर से पकड़ा गया रोहिंग्या अजीजुल हक भी शामिल था। उन्नाव और अन्य जिलों में भी कई रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जा चुके हैं। अवैध गतिविधियों में सहायता के लिए विदेशी फंडिंग का रैकेट भी उजागर हुआ था। इसी कारण संबंधित एजेंसियों को जांच और कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।



















































