मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चिकित्सा जगत की अनूठी उपलब्धि दर्ज की गई है। यहां के डॉक्टरों ने मात्र 5 सेंटीमीटर के चीरे से कूल्हा प्रत्यारोपण (हेमीआर्थोप्लास्टी) कर नया रिकॉर्ड बनाया है। संस्थान ने इसे अब तक की सबसे छोटी सर्जरी का दावा करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में आवेदन किया है। दोनों संस्थाएं इस रिकॉर्ड के सत्यापन की प्रक्रिया में जुटी हुई हैं।
80 वर्षीय महिला पर हुआ सफल प्रत्यारोपण
एम्स के ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने एक पखवाड़े पहले 80 वर्षीय महिला के कूल्हे का प्रत्यारोपण किया था। इस दुर्लभ सर्जरी का नेतृत्व ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज व हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण पांडेय ने किया। उनके साथ एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. सुहास मल्ल और डॉ. अनिल मीणा की टीम शामिल थी।
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गिनीज और लिम्का बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू
इस ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना देशभर के हड्डी रोग विशेषज्ञ कर रहे हैं। इस प्रेरणा से एम्स के चिकित्सकों ने *गिनीज और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स* में आवेदन किया है। इन संस्थानों ने रिकॉर्ड की समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें पहला चरण पूरा होने में 12 सप्ताह लगेंगे। दूसरे चरण में प्रमाण के रूप में मरीज की डिटेल, सर्जरी का वीडियो और फोटो* मांगे जाएंगे, जिन्हें एम्स पहले ही तैयार कर चुका है।
छोटे चीरे की तकनीक के फायदे
डॉ. अरुण पांडेय के अनुसार, छोटे चीरे से की गई सर्जरी के कई लाभ होते हैं:
घाव जल्दी सूखता है
संक्रमण का खतरा कम होता है
खून का स्राव न्यूनतम होता है
मरीज को जल्द छुट्टी मिल जाती है
इस सर्जरी के सफल होने के बाद एम्स ने मेडिकल जगत में अपनी साख और मजबूत कर ली है। अब सबकी नजरें इस रिकॉर्ड के आधिकारिक मान्यता मिलने पर टिकी हैं।
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