Chhath Puja 2020: दो देशों का मिलन कराती है छठ, इस नदी के किनारे पूजा की है दशकों पुरानी परंपरा

स्पेशल न्यूज़: छठ महापर्व पर लाखों की संख्या में भीड़ इक्कठा होती है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग इक्कठा होकर छठ माता की पूजा करते हैं. ठाकुरगंज प्रखंड की सीमा पर भारत के बिहार व पश्चिम बंगाल और नेपाल के झापा जिले के छठव्रती इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बहने वाली मेची नदी घाट पर पर्व मनाते हैं. छठ पूजा के दिन यहां इसका विहंगम ²श्य देखने को मिलता है.


दशकों से है यह परंपरा-


दोनों देशों के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अघ्र्य देते आ रहे हैं. उसमें मुख्य रूप से भारत के कई गांव कस्बों के श्रद्धालुओं के साथ नेपाल के झापा जिले के भद्रपुर, चंद्रगुड़ी, बनियानी, कचना, शनिचरी, घोरामारा आदि गांवों के छठव्रती इस नदी तट पर शामिल रहते हैं.


ठाकुरगंज प्रखंड की सीमा पर भारत के बिहार व पश्चिम बंगाल और नेपाल के झापा जिला के छठव्रती मेची नदी घाट पर नियम निष्ठा से लोक आस्था का महापर्व मनाते हैं. ठाकुरगंज प्रखंड के दर्जनों गांव यथा जिलेबियामोड़, भातगांव, गलगलिया, नेमुगुड़ी, झाला, तबलभिट्टा, लोधाबाड़ी, भैंसलोटी, धोबीभिट्टा, पाठामारी आदि गांव के छठव्रती मेची नदी घाट पर भगवान सूर्य की आराधना करते हैं. मेची नदी के पश्चिमी तट पर नेपालवासी तो पूर्वी तट पर भारत के छठव्रती छठ पर्व मनाते है. दोनों देश के छठव्रती के एक साथ पर्व मनाने का वह विहंगम ²श्य व नजारा देखने लायक होता है. दोनों देश के लोग सरहद की सीमा को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हैं.


नेपाल के निवासी भी करते हैं छठ पूजा-


नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में बिहार व यूपी के रहने वाले के साथ-साथ नेपाल के मूल निवासी की भी छठ पर्व के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है. नेपाल के भद्रपुर, चंद्रगुडी, लघोडामारा, कांकड़ भिट्टा, विरतामोर, धुलाबाड़ी आदि शहरों में बड़ी संख्या में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं. इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढऩे लगी और आज बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी भी छठ पर्व की आस्था से जुड़ रहे हैं.


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