बिहार चुनाव से पहले EC की सख्ती, 334 पार्टियों की मान्यता रद , जानें वजह

चुनाव आयोग ने शनिवार को बड़ा कदम उठाते हुए देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया। ये दल 2019 से पिछले छह वर्षों में एक भी चुनाव लड़ने की अनिवार्य शर्त पूरी नहीं कर पाए। साथ ही, इनके कार्यालयों का भी कोई ठिकाना नहीं मिल पाया। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई राजनीतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने और निष्क्रिय दलों को हटाने के उद्देश्य से की गई है।

बिहार चुनाव से पहले सख्त कदम

आयोग ने यह कार्रवाई आगामी बिहार चुनाव से पहले तेज की है। 2019 के बाद से इन दलों ने न तो लोकसभा और न ही किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा या उपचुनाव में भाग लिया। ऐसे में ये चुनाव में उम्मीदवार उतारने के योग्य नहीं रहेंगे। देश में कुल 2,854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल थे, लेकिन इस अभियान के बाद इनकी संख्या घटकर 2,520 रह गई है। वर्तमान में देश में छह राष्ट्रीय और 67 राज्य स्तरीय दल सक्रिय हैं।

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

अधिकारियों के अनुसार, 2001 के बाद से चुनाव आयोग चार बार इस तरह की कार्रवाई कर चुका है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले आयोग को दलों की मान्यता रद्द करने से रोका था, क्योंकि यह प्रावधान कानून में स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं है। इसके बावजूद आयोग ने “सूची से हटाने” का रास्ता खोज लिया, जिससे जरूरत पड़ने पर हटाए गए दलों को बिना नई मान्यता प्रक्रिया के फिर से सूचीबद्ध किया जा सकता है।

कर छूट का लाभ और दुरुपयोग के मामले

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को कर छूट और अन्य विशेष लाभ मिलते हैं। अतीत में कई गैर-मान्यता प्राप्त दलों को आयकर कानून और मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून का उल्लंघन करते हुए भी पकड़ा गया है। यही वजह है कि आयोग समय-समय पर ऐसे निष्क्रिय और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल दलों की जांच और सूची से हटाने की प्रक्रिया करता है।