चीन भेजा जा रहा था VIVO इंडिया का 50% टर्नओवर, ED की रेड में 465 करोड़ रुपए समेत 2 किलो सोना जब्त

भारत में कारोबार करने वाली चीन की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार तेज हो रही है. चीनी मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी वीवो (Vivo) मुसीबत में फंस गई है. चीनी मोबाइल फोन कंपनियां ना सिर्फ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य जांच एजेंसियों के निशाने पर भी हैं. हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने वीवो और संबंधित कंपनियों के 44 स्थानों पर छापेमारी की थी. आशंका है कि छापेमारी के बाद कंपनी के दो शीर्ष अधिकारी भारत से भाग भी गए हैं. अब ईडी ने कहा है कि वीवो इंडिया ने अपने कारोबार का लगभग 50 फीसदी चीन में भेजा है.

वीवो इंडिया की 465 करोड़ रुपये की राशि जब्त

वीवो ने 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल बिक्री आय में से, वीवो इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये भारत से बाहर भेजे हैं. इस संदर्भ में ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने देश भर में वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और इसकी 23 संबद्ध कंपनियों जैसे ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित 48 स्थानों पर तलाशी ली और अब तक विभिन्न संस्थाओं के 119 बैंक खातों की तलाशी ली. PMLA के प्रावधानों के तहत वीवो इंडिया के 66 करोड़ रुपये की एफडी, 2 किलो सोने की छड़ें और लगभग 73 लाख रुपये की नकद राशि सहित कुल 465 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है.

मनी लॉड्रिंग का मामला है दर्ज 

एजेंसी ने फरवरी 2022 में दिल्ली पुलिस में दर्ज एक मामले के आधार पर मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस को MCA यानी Ministry of Corporate Affairs ने एक शिकायत दी थी कि M/s Grand Prospect International Communication Pvt Ltd के शेयर होल्डर ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कंपनी को फर्जी पते पर रजिस्टर्ड करवाया है. ये M/s GPICPL कंपनी 3 दिसंबर 2014 को सोलन, गांधी  नगर और जम्मू में रजिस्टर्ड हुई थी. जांच में पाया गया कि जो पते दिये गये थे वो सरकारी इमारत और सरकारी अधिकारी के घर के पते थे.

इस तरह से बनाईं कंपनियां

इसके बाद ED ने जांच आगे शुरू कि तो पता चला कि 1 अगस्त 2014 को जब भारत में Vivo Mobile जोकि हांगकांग की कंपनी Multy Accord Ltd की सब्सिडरी है, रजिस्टर्ड हुई थी और इसके कुछ महीनों बाद ही यानी दिसंबर 2014 में M/s GPICPL रजिस्टर्ड हुई, जो कि फर्जी पतों पर थी. इस कंपनी को चीन के तीन नागरिक Bin Lou, Zhengshen Ou और Zhang Jie ने भारतीय CA नितिन गर्ग की मदद से बनवाया था. जांच में आगे पता चला कि मास्टरमाइंड Bin Lou पहले Vivo में भी डायरेक्टर था और उसने देश में Vivo के दाखिल होने के समय के आसपास ही 18 कंपनियां बनाई और इसके अलावा Zhixin Wei नाम के चीनी नागरिक ने 4 कंपनियां बनाई. ये सब कंपनियां साल 2014-15 के दौरान बनाई गईं थी.

कंपनियों ने किया पैसा ट्रांसफर

एजेंसी की जांच में आगे पता चला कि इन कंपनियों ने काफी पैसा Vivo India को ट्रासंफर किया और इसके अलावा भारत में मोबाइल की सेल से जो 1,25,185 करोड़ कमाए थे, उसमें से भी 62,476 करोड़ देश से बाहर चीन में भेज दिए, जो रकम बाहर भेजी गई, उसे घाटे में दिखाया गया ताकि टैक्स देने से बचा जा सके. ED का कहना कि इस मामले से जुडा मुख्य आरोपी Bin Lou 26 अप्रैल 2018 को ही देश से फरार हो गया था और दूसरे आरोपी Zhengshen Ou और Zhang Jie साल 2021 में मामला दर्ज होने की भनक लगते ही फरार हो गए.

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