उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पिछले साल हुए बिकरू कांड को अभी कोई भूल नहीं पाया है. हाल ही में बिकरू में शहीद सीओ की बेटी और एक सिपाही के भाई ने नौकरी ज्वाइन कर ली थी. लेकिन कई ऐसे परिवार हैं, जिनको नौकरी के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ रहा है. जिसके बाद अब अन्य शहीदों के आश्रित सवाल उठाने लगे हैं. दरअसल, अन्य मृतक आश्रितों का ये आरोप है कि सीओ की बेटी को बिना परीक्षा के नौकरी दे दी गयी जबकि अन्य आश्रितों के लिए नौकरी पाने की प्रक्रिया काफी लम्बी है.
अभी तक दो आश्रितों को मिली नौकरी
जानकारी के मुताबिक, दो जुलाई 2020 की रात बिकरू गांव में गैैंगस्टर विकास दुबे को पकडऩे गई पुलिस टीम पर फायरिंग में सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा, शिवराजपुर थाना प्रभारी महेश कुमार यादव, दारोगा नेबूलाल, मंधना चौकी प्रभारी अनूप कुमार सिंह और चार सिपाही बबलू कुमार, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार व जितेंद्र पाल शहीद हो गए थे. इसमें बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा की बड़ी बेटी वैष्णवी मिश्रा ने ओएसडी पद के लिए आवेदन किया था. एक साल तक चली प्रक्रिया के बाद वैष्णवी को नियुक्ति मिल गई है. वैष्णवी की तैनाती पुलिस मुख्यालय में की गई थी लेकिन अब उनका तबादला कानपुर कमिश्नरी में कर दिया गया है. पुलिस ऑफिस में उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया है. इसके साथ ही बिकरू कांड में आगरा के फतेहाबाद थाना क्षेत्र के नगला लोहिया गांव निवासी सिपाही बबलू कुमार भी शहीद हुए थे. बबलू की तैनाती बिठूर थाने में थी. बबलू के छोटे भाई उमेश ने भर्ती के लिए आवेदन किया था. फिजिकल और मेडिकल परीक्षा पास करने के बाद उमेश ने अब खाकी पहन ली है. नियुक्ति के बाद कानपुर पुलिस कमिश्नरी में ही उनको तैनाती मिली है.
वहीँ दूसरी तरफ शहीद दारोगा नेबूलाल की पत्नी और महेश यादव की पत्नी ने अपने बेटों की पढ़ाई पूरी होने तक का वक्त मांगा था. दारोगा अनूप की पत्नी नीतू ने दो बार दौड़ परीक्षा में हिस्सा लिया, लेकिन सफलता नहीं मिली है. सिपाही राहुल की पत्नी दिव्या दौड़ परीक्षा पास कर चुकी हैं, लेकिन उनकी लिखित परीक्षा अभी नहीं हुई है. सितंबर में होने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं, सिपाही सुल्तान की पत्नी उर्मिला का आवेदन देर से पहुंचने के कारण अब तक चयन प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई.
लगाया पक्षपात का आरोप
दैनिक जागरण अख़बार की खबर के मुताबिक, बिकरू कांड में ही शहीद एक सिपाही की पत्नी ने बताया कि सरकार ने सीधे नौकरी देने की बात कही थी, लेकिन अब उन्हेंं चयन की सभी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा है. शैक्षिक योग्यता के बावजूद उन्हेंं विशेष कार्याधिकारी का पद नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सीओ की बेटी को बिना परीक्षा के नौकरी कैसे मिल गई. एक अन्य शहीद के परिवार की महिला ने पक्षपात का भी आरोप लगाया. उनका कहना है कि परिवार की हालत देखने के बावजूद उन्हें कोई छूट नहीं दी जा रही है.
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