मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। भारतीय सोसाइटी फॉर प्रिसीजन मेडिसिन एंड मॉलीक्यूलर मेडिसिन (ISPMMM) का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन 1 और 2 मार्च 2025 को एम्स गोरखपुर में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने भाग लिया और प्रिसीजन मेडिसिन, मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीनोमिक्स, प्रोटीओमिक्स, नैनोमेडिसिन तथा उन्नत चिकित्सीय रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की।
सम्मेलन का उद्घाटन एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल विभा दत्ता ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में प्रिसीजन मेडिसिन को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग बनाने पर जोर दिया। अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति प्रो. संजीव मिश्रा ने मल्टीडिसिप्लिनरी सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
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सम्मेलन अध्यक्ष एवं एम्स गोरखपुर के बायोकैमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. आकाश बंसल ने मॉलीक्यूलर मेडिसिन के उभरते आयामों और असाध्य रोगों के नए उपचार की संभावनाओं पर चर्चा की। इस दौरान सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च, लखनऊ के निदेशक प्रो. आलोक धवन, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सुनीत सिंह, एम्स भोपाल के प्रो. जगत राकेश कवार, सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ के वैज्ञानिक एस. के. रथ, एसएनएम मेडिकल कॉलेज जोधपुर के प्रो. जय राम रावतानी, एसजीटी यूनिवर्सिटी की प्रो. निमा चंदा, रूस की अंतरराष्ट्रीय एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. इन्ना मिनिस्कोवा तथा रूसी वैज्ञानिक डॉ. स्वेतलाना शोकुर सहित अन्य विशेषज्ञों ने अपने शोध और अनुभव साझा किए।
सम्मेलन के दौरान कैंसर, मधुमेह, नैनोमेडिसिन, जीनोमिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े नवीन शोध प्रस्तुत किए गए। वैज्ञानिकों ने बताया कि नैनोमेडिसिन और जीन-संपादन तकनीकों से कई जटिल बीमारियों के उपचार में नई राहें खुल सकती हैं।
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आयोजन सचिव डॉ. शैलेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि प्रिसीजन मेडिसिन चिकित्सा क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है। उन्होंने इस क्षेत्र में अधिक अनुसंधान और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन के सफल संचालन में डॉ. दीपिका और डॉ. जसलीन कौर ने योगदान दिया।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत में प्रिसीजन मेडिसिन और मॉलीक्यूलर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस आधार तैयार किया। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने चिकित्सा क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
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