‘मानसिकता कैसे बदलेगी?…’, अखिलेश यादव ने जातीय रैलियों पर बैन को लेकर CM योगी से किए ये 5 सवाल

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी दस्तावेजों, एफआईआर, नाम पट्टों और सार्वजनिक स्थलों से जाति का उल्लेख हटाने के निर्देश पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party)  के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस फैसले को महज ‘दिखावा’ करार दिया और कहा कि इससे हजारों वर्षों से चली आ रही जातिगत सोच समाप्त नहीं होगी। यह कदम सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उठाया है, जिसमें सभी विभागों को जाति आधारित पहचान को खत्म करने का आदेश दिया गया है।

सरकार के फैसले पर उठाए 5 सवाल

अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट में योगी सरकार की नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने यह जानना चाहा कि जाति को नाम से हटाने के साथ-साथ क्या मानसिकता में बदलाव लाने के लिए कोई योजना बनाई गई है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार वेशभूषा, प्रतीक चिन्हों या सामाजिक व्यवहार में प्रकट होने वाले जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की सोच रही है? इसके साथ ही, उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई कि लोगों की सोच में गहराई तक समाहित जाति पूछने की प्रवृत्ति और जातीय भेदभाव से उत्पन्न होने वाली घटनाओं के खिलाफ क्या रणनीति बनाई गई है?

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हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार का बड़ा फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद, राज्य सरकार ने जातिगत भेदभाव समाप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। नए आदेश के अनुसार, FIR, गिरफ्तारी मेमो, पुलिस रिकॉर्ड और अन्य दस्तावेजों में अब जाति का उल्लेख नहीं होगा। इसकी जगह, पहचान के लिए माता-पिता के नाम का उपयोग किया जाएगा। थानों, वाहन और कार्यालयों में लगे साइनबोर्ड से भी जाति से संबंधित शब्दों को हटाने का निर्देश दिया गया है। इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया पर जाति आधारित प्रचार और रैलियों पर निगरानी और प्रतिबंध लगाने की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे।

सतही सुधार नहीं, गहरी सोच में बदलाव जरूरी

अखिलेश यादव ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि समाज में बदलाव केवल दस्तावेजों के द्वारा नहीं, बल्कि सोच और व्यवहार में भी होना चाहिए। उन्होंने इस पर सवाल उठाया कि क्या सरकार उन जातिगत भेदभाव की घटनाओं के खिलाफ कदम उठाएगी, जहां किसी व्यक्ति को उसकी जाति के कारण प्रताड़ित या अपमानित किया गया हो। उन्होंने इसे एक राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि असली बदलाव तभी संभव है जब शासन और प्रशासन से लेकर आम जनता तक, हर स्तर पर जाति के आधार पर भेदभाव को पूरी तरह से समाप्त किया जाए।

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