यूपी में 15 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में गृहमंत्री अमित शाह ने परीक्षा के बाद चयनित सिपाहियों को नियुक्ति पत्र का वितरण किया। पिछले ही हफ्ते इनकी ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है। इसी बीच एक सिपाही अपने पिता के साथ इस्तीफा देने एसपी कार्यालय पहुंच गया। उसकी बातों को पुलिस अधीक्षक से पहले उनके पीआरओ ने सुना तो हैरान रह गया।
मुझसे नहीं होगा ये सब
युवक जब एसपी कार्यालय पहुंचा तो वहां मौजूद पीआरओ (पुलिस जनसंपर्क अधिकारी) भी हैरान रह गए। युवक ने कहा कि वह यह नौकरी सिर्फ घरवालों के दबाव में करने आया था लेकिन अब उसे एहसास हो गया है कि यह जिम्मेदारी उसके बस की बात नहीं है।
परिवार के दबाव में ली थी नौकरी
युवक ने बताया कि पुलिस की नौकरी में आने का उसका व्यक्तिगत कोई सपना नहीं था। यह फैसला उसने माता-पिता और रिश्तेदारों के कहने पर लिया था। ट्रेनिंग शुरू होते ही उसे महसूस हुआ कि यह उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत है — न सख्त अनुशासन, न शारीरिक श्रम उसे रास आ रहा था।
पीआरओ ने समझा कर घर लौटाया
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पीआरओ ने युवक को शांतिपूर्वक समझाया और कहा कि ऐसे फैसले जल्दबाज़ी में नहीं लिए जाते। उसे कुछ दिन और ट्रेनिंग में बने रहने की सलाह दी गई, ताकि वह बेहतर समझ सके कि आगे क्या करना है। फिलहाल युवक को छुट्टी नहीं दी गई है और वापस ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया गया है।
पुलिस विभाग में हलचल, सोशल मीडिया पर चर्चा
यह मामला पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बन गया है, खासकर ट्रेनिंग में नए चयनितों के मनोबल और मानसिक स्थिति को लेकर। सोशल मीडिया पर भी इस पर प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं, कुछ लोग युवक के फैसले को साहसी मान रहे हैं, तो कुछ इसे युवाओं की सहनशक्ति में कमी बता रहे हैं।
ये पहली बार नहीं हुआ
विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक अकेला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि कई युवा केवल सरकारी नौकरी की ‘सेफ जोन’ सोचकर भर्ती होते हैं, लेकिन वास्तविक ड्यूटी या ट्रेनिंग का सामना करने पर मन बदल लेते हैं। मानसिक स्वास्थ्य, करियर का झुकाव और पारिवारिक दबाव ,ये सब इस तरह की घटनाओं के पीछे की मुख्य वजहें हो सकती हैं।
Input – Ram Krishna Shukla