राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने शताब्दी वर्ष को सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के दृष्टिकोण से विशेष रूप से महत्वपूर्ण मान रहा है। इस कड़ी में देश में लंबे समय से मौजूद हिंदू-मुस्लिम सामाजिक दूरी को पाटने के लिए संवाद और सहयोग की नई राहें खोली जा रही हैं। वैश्विक स्तर पर हो रहे आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों के बीच भारत के सर्वांगीण विकास के लिए यह एक जरूरी कदम माना जा रहा है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की बड़ी भूमिका
संघ के करीबी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) को इस संवाद प्रक्रिया का नेतृत्व सौंपा गया है। आगामी दो महीनों में दिल्ली में एक विशाल मुस्लिम सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसके साथ-साथ देशभर के जिलों में मुस्लिम बौद्धिक बैठकों का भी आयोजन होगा। इन बैठकों में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भी भाग लेंगे और मुस्लिम समाज से सीधे संवाद करेंगे।
Also Read- ‘किसी भी षड्यंत्र को सफल न होने दें…’, भारत-पाकिस्तान तनाव पर बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत
गृह संपर्क अभियान में मुस्लिम क्षेत्रों पर विशेष ध्यान
संघ द्वारा शताब्दी वर्ष में शुरू किए गए 20 करोड़ घरों के गृह संपर्क अभियान में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की जिम्मेदारी भी MRM को दी गई है। इस निर्णय की घोषणा हरियाणा भवन में संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की अध्यक्षता में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में की गई, जिसमें डॉ. कृष्णगोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार जैसे प्रमुख नेता शामिल थे।
हिंदू-मुस्लिम एकता और भारतीयता पर ज़ोर
बैठक का मुख्य उद्देश्य था ‘कैसे हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच की दूरियों को कम किया जाए और एक समान भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जाए?’ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस दौरान स्पष्ट किया कि हिंदू और मुस्लिम दो नहीं बल्कि एक हैं। दोनों के पूर्वज, परंपराएं और डीएनए समान हैं। उन्होंने कश्मीर के बदलते हालात को सकारात्मक बताते हुए वहां विशेष गृह संपर्क की आवश्यकता पर भी बल दिया।
Also Read- ‘राजनीतिक हथियार के रूप में न हो इस्तेमाल…’, जातिगत जनगणना पर RSS का बयान
धर्मगुरुओं के साथ नियमित संवाद
इससे पहले भी मोहन भागवत की मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं। हाल ही में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख उमेर अहमद इलियासी के नेतृत्व में हरियाणा भवन में एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी। यह संवाद श्रृंखला बताती है कि संघ अब नियमित रूप से मुस्लिम बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं से मिलकर भ्रम दूर करने और सामाजिक दूरी को कम करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है।


















































