उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुख चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया, कुल 825 सीटों में से 648 सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई. इस दौरान हार से बौखलाईं विपक्षी पार्टियों द्वारा कुछ जगहों पर हिंसक घटनाएं भी देखने को मिली. इन्हीं में एक घटना उन्नाव में भी हुई, जहां मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल (Unnao CDO Divyanshu Patel) पर एक पत्रकार की पिटाई का आरोप लगा है. वहीं इस मामले पर दिव्यांशु का कहना है कि वे बस उपद्रव को शांत कर रहे थे, जहां बिना प्रेस कार्ड के होने के कारण पत्रकार और अराजक तत्वों में अंतर नहीं हो पाया, जिसके चलते यह घटित हुआ. हिंसा रोकने के दौरान उनके हाथ और कलाई में चोट भी आई है.
हालांकि अब इस मामले में सीडीओ दिव्यांशु पटेल और पत्रकार कृष्णा तिवारी के बीच सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौता हो गया है. सीडीओ और पत्रकार ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मामले को रफा-दफा कर दिया है. दिव्यांशु पटेल ने अनजाने में भ्रम के चलते घटना होने की बात कहकर पत्रकार से माफी भी मांग ली है. मामला जरूर यह सिमट गया लेकिन इसके चलते दिव्यांशु पटेल जबरदस्त चर्चा में आ गए. वीडियो वायरल होने के बाद बीते दिन से लगातार दिव्यांशु पटेल सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड कर रहे हैं. कुछ यूजर्स उनकी आलोचना कर रहे हैं, तो वहीं कुछ घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताकर सीडीओ का यह कहकर बचाव कर रहे हैं कि वे जस्ट अपनी ड्यूटी कर रहे थे.
अवैध मस्जिद गिराने पर हुई थी जमकर सराहना
यूपी के बलरामपुर में एमएलके महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डा. एपी वर्मा के बेटे दिव्यांशु पटेल साल 2017 में 204 रैंक हासिल कर IAS बने थे. दिव्यांशु राष्ट्रीय पटल पर पहली बार चर्चा में तब आए जब करीब दो महीने पहले उन्होंने बाराबंकी में एक अवैध मस्जिद को गिराया था. दिव्यांशु तब बतौर एसडीएम चार्ज संभाल रहे थे. इस कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें खूब जनसर्मथन मिला था.
दरअसल, 3 जून 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राकेश श्रीवास्तव ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया था कि ‘जनवरी, 2011 के बाद सार्वजनिक मार्गों पर बने सभी धार्मिक ढांचों को हटाया जाएगा और संबंधित जिला मैजिस्ट्रेट की ओर से दो महीने के भीतर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपनी होगी. जो धार्मिक ढांचे इससे पहले बनाए गए हैं, उनको किसी निजी भूखंड पर स्थानांतरित किया जाएगा या फिर छह महीने के भीतर हटाया जाएगा.’
25 फरवरी 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने इसी पुराने आदेश पर योगी आदित्यनाथ सरकार से जवाब मांगा कि इस आदेश पर क्या कार्रवाई हुई. कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को 17 मार्च 2021 तक का समय दिया. यूपी सरकार ने 11 मार्च को एक आदेश जारी किया. सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि धार्मिक स्थलों के नाम पर किए गए अतिक्रमण हटाए जाएं. 14 मार्च तक जवाब देकर बताएं कि कितनों पर कार्रवाई हुई.
15 मार्च को रामसनेहीघाट के तहसीलदार दया शंकर त्रिपाठी ने जॉइंट मैजिस्ट्रेट दिव्यांशु पटेल के निर्देश पर नोटिस जारी कर विवादित स्थल में रह रहे जिम्मेदार लोगों से जवाब मांगा. जवाब देने के लिए तीन दिन का वक्त दिया गया. 16 मार्च को पुलिस मौके पर जांच पड़ताल के लिए पहुंची. पुलिस ने यहां रह रहे लोगों से उनकी आईडी मांगी जो वो दे ना पाए. अगले दिन ये लोग भाग निकले. जॉइंट मैजिस्ट्रेट ने इसकी जानकारी मिलने पर उन लोगों को ढूंढने और मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए. इसके साथ ही विवादित स्थल को सील कर दिया.
19 मार्च को एक और घटना हुई. शुक्रवार शाम को यहां विवादित स्थल पर भारी भीड़ जुटी और तहसील परिसर पर पथराव कर दिया. 31 मार्च तक प्रशासन के पास एक भी कागज नहीं पहुंचा. SDM दिव्यांशु पटेल ने 3 अप्रैल को फैसला सुनाया, जिसमें इस स्थल को तहसील की जमीन पर अवैध कब्जा ठहराया गया. साथ ही विवादित स्थल के पक्षकारों को 35 दिनों का वक्त दिया. इस फैसले को चैलेंज करने के लिए. ऊपरी अदालतों में नियम के मुताबिक आप एक महीने के अंदर ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं. मगर ऐसा नहीं किया गया. प्रशासन ने इसे देखते हुए 17 मई को इस विवादित स्थल को गिराकर इसे अपने कब्जे में ले लिया. वहीं हमला करने वाले मुख्य आरोपी इश्तियाक समेत कई लोगों पर पर रासुका लगाया गया, जिसे बाद में अदालत में चैलेंज भी किया गया, हालांकि हाल ही में हाईकोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई पर मुहर लगा दी है.
कौन हैं दिव्यांशु पटेल
बलरामपुर के रहने वाले दिव्यांशु पटेल के पिता डा. एपी वर्मा एमएलके महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत हैं. दिव्यांशु पटेल साल 2017 में 204 रैंक हासिल कर आईएएस बने थे. दिव्यांशु ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा बलरामपुर माडर्न इण्टर कालेज से प्राप्त की. एमएलके कालेज से बीए की परीक्षा उन्होंने सर्वोच्च अंक प्राप्त कर पास की.
इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से वर्ष 2010 में बीएड, वर्ष 2011 में एमएड व जेएनयू से परास्नातक किया. फरवरी 2011 में माता के देहांत के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं खोया. समाज शास्त्र में जेआरएफ उत्तीर्ण हुए. साल 2012 में दिव्यांशु का चयन असिस्टेंट कमाडेंट सीआरपीएफ के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसे तरजीह नहीं दी.
IAS बनने के लिए गुरू को दिया क्रेडिट
दिव्यांशु का कहना है कि अगर आज वह आईएएस बने हैं तो उसके पीछे उनके गुरू डॉ माधवराज द्विवेदी का बड़ा योगदान है. उनका कहना है कि गुरूजी ने कक्षा 10 से एक अभिभावक की तरह उनका मार्गदर्शन किया है. कहां पढ़ना है, क्या विषय लेने हैं, कैसे करना है बारीक-बारीक चीजों पर भी माधवराज द्विवेदी उन्हें लगातार गाइड करते रहे. दिव्यांशु ने बताया कि कहना है कि उनका नाम ‘दिव्यांशु’ भी गुरू जी की ही देन है, यह नामकरण उन्होंने ही किया. आज वे जो भी हैं अपने गुरू डॉ माधवराज द्विवेदी की वजह से ही हैं.
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