लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावी समर में उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस ने 11 तो समाजवादी पार्टी ने 9 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन इसके बावजूद सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातचीत जारी है. पार्टी सूत्रों की मानें तो सपा-बसपा गठबंधन कांग्रेस को शामिल करने का विचार कर रही है.
फॉर्मूले के तहत सपा और बसपा को कांग्रेस दूसरे राज्यों में जितनी सीटें देगी, इतनी सीटें उत्तर प्रदेश में यह दोनों दल कांग्रेस के लिए छोड़ सकते हैं. माना जा रहा है कि करीब दर्जनभर सीटों पर सहमति बनाने की कोशिश चल रही है. दोनों दलों के पास करीब दर्जनभर ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस मजबूत है और अगर त्रिकोणीय संघर्ष होता है तो सपा-बसपा के लिए भी इन सीटों पर जीतना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस की एक और कोशिश है कि इन दोनों दलों के साथ हर हाल में गठबंधन में जाया जाए.
ये सीटें कांग्रेस को मिल सकती हैं
कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, बरेली, बाराबंकी, कुशीनगर, प्रतापगढ़, वाराणसी, धौरहरा जैसी सीटें कांग्रेस के लिए मुफीद हैं. ऐसी ही कुछ और सीटें निकाल कर अगर गठबंधन की बात बनती है तो बनाई जा सकती है. माना जा रहा है कि सपा को कांग्रेस महाराष्ट्र में अपने गठबंधन में सीटें देने को तैयार है, जबकि बीएसपी के लिए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सीटें देने की कोशिश चल रही है.
इस शर्त पर मान सकती हैं मायावती
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस और सपा का अपनी मजबूत स्थिति वाली सीटों पर ही उम्मीदवार उतारना जैसी चीजे दिखाती हैं कि इन दलों के बीच भीतर ही भीतर बात चल रही है. कांग्रेस से गठबंधन के लिए अखिलेश यादव तैयार हैं लेकिन बसपा चीफ मायावती इसे करने में आना-कानी कर रही हैं. राजनैतिक जानकार मानते हैं कि मायावती को अगर कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश में गठबंधन में कुछ सीटें देती है तो मायावती तैयार हो सकती हैं.
एयर स्ट्राइक के बाद बड़ा मोदी का ग्राफ
पुलवामा हमले के बाद पीओके में भारतीय वायुसेना द्वारा आतंकी ठिकानों पर की गयी एयर स्ट्राइक के बाद नरेंद्र मोदी का ग्राफ फिर से बड़ा हुआ है. राम मंदिर, धारा 370, एससी-एसटी मुद्दों से बीजेपी का जो वोट बैंक उससे नाराज था आज उसी के लिए ये मुद्दे काफी पीछे छूट गए हैं, जिससे बीजेपी हमलावर रूख अख्तियार कर चुनाव प्रचार में जुट गयी है. पहले जो सपा-बसपा गठबंधन जिन सीटों पर लीड लेता दिख रहा है वहां मुकाबला अब मुकाबला त्रिकोणीय हो चला है, जिसका फायदा सबसे ज्यादा बीजेपी को होने वाला है, यही कारण है कि जिस सपा-बसपा ने कांग्रेस के लिए गठबंधन के रास्ते बंद कर दिए थे आज वही इस पर विचार रही है. जिसका हाल ही में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गाँधी और अखिलेश यादव इशारा करते देखे गए.
आपको बता दें कि आज की स्थिति में लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और रालोद मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. सपा 37 सीटों पर बसपा 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी तो रालोद को मथुरा, मुजफ्फरपुर और बागपत सीटें दी गयीं हैं. वहीं, गठबंधन ने अपनी तरफ से कांग्रेस के लिए अमेठी व रायबरेली की सीटें छोड़ दी हैं.
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