यूपी की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित आपदा प्रबंधन (Disaster Management) पर 2 दिवसीय तीसरे क्षेत्रीय सम्मेलन (Regional Conclave) का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने शुभारंभ किया। इसमें देशभर के 9 राज्यों के प्रबंध समितियों ने भाग लिया। सम्मेलन में सीएम योगी ने कहा कि अगर समय से प्रशिक्षण और जागरूकता के कार्यक्रम चलाए जाएं और बचाव के उचित कार्य किए जाएं तो आपदा से होने वाले नुकसान के न्यूनतम लाने में हमें सफलता प्राप्त हो सकती है।
जागरुकता व बचाव के उपाय जरूरी
सीएम योगी ने कहा कि ये महत्वपूर्ण सम्मेलन है। क्योंकि ये सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में हो रहा है। समय से प्रशिक्षण व जागरूकता व बचाव के उचित उपाय हों तो आपदा के नुकसान को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने एनडीएमए को सक्रिय किया। जनपदो में आपदा मित्र की तैनाती भी की जा सकती है। बाढ़ में कुछ घटनाएं प्राकृतिक होती है,लेकिन कुछ मानवनिर्मित भी होती हैं। नदी के कैचमेंट में बस्तियों से ये स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
लखनऊ में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार और उ.प्र. सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय तृतीय 'क्षेत्रीय सम्मेलन' में… https://t.co/95xnNnTj3p
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 30, 2022
यूपी में 2 महीने रहती है बाढ़ की स्थिति
सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में 2 महीने बाढ़ के होते हैं, नेपाल से सटे जनपदो में पहले बाढ़ आती है और फिर गंगा यमुना के तटवर्ती जनपदो में बाढ़ की स्थिति होती है। समय से की गई तैयारी और बचाव के उपाय इसके लिए सहायक होते हैं। इसके उत्पन्न स्थिति के लिए ठेकेदारी प्रथा भी एक कारक है, सरयू नदी पर दशकों से एक बांध है।
उन्होंने कहा कि एल्गिन बांध, इसपर दशको से सैकड़ो करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए गए। हम जब 2017 में आये तो मेरे सामने भी प्रस्ताव आया कि 100 करोड़ रुपये बाढ़ राहत के लिए जरूरत होते थे। मैने कहा अभी रुक जाइये अबकी देखने दीजिये। मैंने खुद उसका सर्वेक्षण किया और फिर समीक्षा की।
सीएम योगी ने कहा कि फिर नदी पर चैनलाइज किया गया। जहां 100 करोड़ रुपये सालाना खर्च होते थे,लेकिन आज विगत पांच वर्ष में 5 से 8 करोड़ रुपये में बाढ़ नियंत्रण किया जा रहा है। पिछले वर्ष हमने 8 करोड़ रुपये की लागत आयी। एक समय उत्तर प्रदेश में करीब 38 जनपद बाढ़ की चपेट में होते थे, लेकिन आज कहा जा सकता है 4 से 6 जनपद हैं जहां बाढ़ की स्थिति होती है। आपदा, बाढ़, भूकम्प के लिए जागरूकता कार्यक्रम बहुत सहायक होती है। आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें हमारे उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मिर्जापुर सोनभद्र में होती है।
सीएम ने कहा कि इसके लिए वार्निंग सिस्टम बहुत जरूरी है,अलर्ट सिस्टम की वजह से बहुत मौतें रोकी जा सकती है। अग्निकांड से होने वाली मौतों पर भी हम इस तरह से अच्छा कार्य कर सकते हैं। बहुत बार जंगली जानवरों की वजह से मौतें होती हैं,इसे भी हमने आपदा की हानि की श्रेणी में रखा।
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