मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पूर्वांचल। तकनीकी शिक्षा में अच्छा नाम कमाने के बाद अब मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर की योजना है विश्वविद्यालय का अपना चिकित्सा संकाय (स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज) शुरू करने की। पिछले दिनों माननीय मुख्यमंत्री जी, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में लखनऊ में संपन्न प्राविधिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा प्राविधिक शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुधारने हेतु विभिन्न निर्देश दिए थे/ अपेक्षाएं की थीं। उक्त निर्देशों/ अपेक्षाओं में से एक निर्देश यह भी था कि “प्राविधिक शिक्षा विभाग में इन्टर डिसिप्लिनरी कोर्स (मेडिकल साइंस) खोलने का प्रयास किया जाए।” उक्त निर्देश को ध्यान में रखते हुए ही विश्वविद्यालय ने अपना चिकित्सा संकाय शुरू करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए विश्वविद्यालय ने प्रो वी के गिरि, अधिष्ठाता छात्र मामले को समन्वयक भी नियुक्त कर दिया है। प्रो गिरि समन्वयक के रूप में चिकित्सा संकाय शुरू करने के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसे विश्वविद्यालय के संविधिक निकायों की सहमति हेतु आगामी बैठकों मे प्रस्तुत किया जाएगा। आरंभिक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन में एम बी बी एस पाठ्यक्रम की मान्यता हेतु आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। नेशनल मेडिकल कमीशन की सहमति मिलने के बाद पाठ्यक्रम आरम्भ होगा। शुरू में एम बी बी एस की 100 सीटों की मान्यता के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा।
बताते चलें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अंतरानुशासनिक/ बहु विषयक शिक्षा को प्रोत्साहित करता है और बहु विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र और लचीले दृष्टिकोण की वकालत करता है। यह दृष्टिकोण पारंपरिक विषय-आधारित सीमाओं को तोड़कर शिक्षा को अधिक समावेशी और प्रासंगिक बनाने का प्रयास करता है। इस दृष्टि से भी चिकित्सा संकाय की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उल्लेखनीय है कि दुनिया के लगभग सभी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका; जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय, अमेरिका; येल विश्वविद्यालय, अमेरिका; इंपीरियल कॉलेज, लन्दन; किंग्स कॉलेज, लन्दन आदि में इंजीनियरिंग के साथ साथ चिकित्सा शिक्षा के लगभग सभी पाठ्यक्रम संचालित है।
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विश्वविद्यालय की योजना है पहले एम बी बी एस पाठ्यक्रम शुरू करने की। उसके बाद भविष्य बी डी एस, बी बी ए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, बी एस सी नर्सिंग, बी एस सी मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, विभिन्न विशेषज्ञताओं में एम डी, एम एस, एम डी एस सहित विभिन्न डिप्लोमा/ सर्टिफिकेट कोर्स जैसे साइकोलॉजिकल मेडिसिन, पब्लिक हेल्थ, ऑर्थोपेडिक्स, इंडस्ट्रियल हाइजीन, डायबिटोलॉजी, चाइल्ड हेल्थ, एनेस्थीसिया, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, मेडिकल रेडियोलॉजी, ऑप्थॉलमोलॉजी, क्लिनिकल पैथोलॉजी, ऑब्सट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, डर्मेटोलॉजी आदि चलाए जाने की योजना है।
एम बी बी एस पाठ्यक्रम स्ववित्तपोषित योजना में शुरू किया जाएगा। वार्षिक फीस अभी निर्धारित नहीं है। एम बी बी एस पाठ्यक्रम चलाने के लिए एक अस्पताल होना भी आवश्यक है। विश्वविद्यालय की योजना है कि किसी सरकारी अस्पताल के साथ मिलकर यह पाठ्यक्रम शुरू किया जाए। इसकी संभावना तलाशने के लिए समन्वयक प्रो वी के गिरि को गोरखपुर जिला चिकित्सालय, राजकीय क्षय रोग चिकित्सालय, सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संपर्क स्थापित करने हेतु निर्देशित किया गया है।
प्रस्तावित चिकित्सा संकाय न केवल चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम संचालित करेगा बल्कि इंजीनियरिंग आधारित मेडिकल स्कूल के रूप में, इसका उद्देश्य चिकित्सा समस्याओं के बारे में सोचने के लिए मस्तिष्क के इंजीनियरिंग पक्ष को एकीकृत करना है। वर्तमान में, इंजीनियरों को किसी समस्या के बारे में सोचने का तरीका डॉक्टरों के दवा के बारे में सोचने के तरीके से बहुत अलग है। चिकित्सा समस्याओं का निदान करने और इंजीनियरिंग मानसिकता के साथ नए, रचनात्मक समाधान और उपचार विकसित करने के लिए दोहरे उद्देश्य की सेवा करना समय की आवश्यकता है। स्नातक होने के लिए, छात्रों को नैदानिक उपकरण, नैनो प्रौद्योगिकी, बायोमटेरियल, टेलीमेडिसिन और अधिक सहित क्षेत्रों में कुछ अभिनव लेकिन चिकित्सकीय रूप से सार्थक आविष्कार करने की आवश्यकता होती है। बिग डेटा, व्यक्तिगत चिकित्सा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, इंजीनियरिंग का महत्व, विशेष रूप से चिकित्सा में, बढ़ रहा है। कार्डियोवैस्कुलर बायोइंजीनियरिंग के क्षेत्र में, इंजीनियरों ने रक्त प्रवाह के रोगी-विशिष्ट कंप्यूटर मॉडल बनाए हैं, जो डॉक्टरों को हृदय रोग का निदान और उपचार करने में मदद करते हैं। ये अभूतपूर्व आविष्कार केवल शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और इंजीनियरों की बहु-विषयक टीमों के योगदान से ही संभव हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि एमएमएमयूटी में इस क्षेत्र में पहले से ही अनुसंधान चल रहा है, जैसे ईसीजी रिकॉर्डिंग का डिजाइन और विकास, एचआरवी विश्लेषण, टेलीमेडिसिन, डेटा संपीड़न, और व्याख्या और रोग निदान, मायोइलेक्ट्रिक हाथ, मानव शरीर क्रिया विज्ञान पर योग का प्रभाव, बायोमेडिकल उपकरण, मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस, न्यूरो रोगों के लिए सिग्नल प्रोसेसिंग, ग्रामीण महिलाओं की स्त्री रोग संबंधी समस्याओं के लिए चैट बॉट।
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