वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लोकसभा में पारित किया गया, जिसमें 288 सांसदों ने इसका समर्थन किया जबकि 232 ने विरोध किया। राज्यसभा में भी विधेयक पर मतदान हुआ, जहां 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 95 ने इसके विरोध में वोट किया। बीजू जनता दल, जो पहले विधेयक के खिलाफ था, ने अपने स्टैंड को बदलते हुए सांसदों को विवेकाधीन निर्णय लेने का निर्देश दिया। जिसके बाद ओवैसी और कॉंग्रेस संसद मोहम्मद जावेद वक्फ बिल का विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद (Mohammad Javed) ने शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक संवैधानिक प्रविधानों का उल्लंघन करता है और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करता है। जावेद के अनुसार, यह विधेयक वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर मनमाने प्रतिबंध लगाता है, जो मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों के खिलाफ है।
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ओवैसी का आरोप
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। ओवैसी ने तर्क दिया कि इस विधेयक के प्रावधान मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और मुस्लिम समुदाय के लिए यह एक अन्यायपूर्ण कदम है। उन्होंने इसे मुस्लिमों के खिलाफ एक और हमले के रूप में देखा।
मोहम्मद जावेद का आरोप
मोहम्मद जावेद की याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं जो अन्य धार्मिक संस्थाओं के प्रशासन पर लागू नहीं होते। जावेद ने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया।
ओवैसी का विरोध प्रदर्शन
विधेयक के खिलाफ ओवैसी का विरोध संसद में भी खुलकर दिखा। बुधवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान, उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए वक्फ संशोधन विधेयक की प्रति को फाड़ दिया। ओवैसी ने यह आरोप लगाया कि यह विधेयक मुसलमानों के साथ अन्याय करेगा और उनके धार्मिक अधिकारों को नुकसान पहुंचाएगा।