यूपी में इस वक्त एक स्क्रिप्ट चल रही है, जिसमें दो किरदार हैं ,एक के पास सत्ता का माइक है, दूसरे के पास चॉक और ब्लैकबोर्ड। पहली तरफ,विधानसभा के एसी हॉल में बैठे ‘जनसेवक’, जिन्हें 9 साल बाद 40% सैलरी का बंपर जैकपॉट लगा है। दूसरी तरफ धूल-धूप में खड़े, बच्चों को पढ़ाने वाले ‘भविष्य निर्माता’ शिक्षामित्र और अनुदेशक—जो 8 साल से 10,000-9,000 पर गुज़ारा कर रहे हैं और अपने हक के लिए सड़कों पर हैं। ये कहानी सिर्फ पैसों की नहीं… ये है दोहरे मापदंडों और सियासी सहमति की, जहां सत्ता के मंच पर तालियां बज रही हैं और शिक्षा के मंच पर नारों की गूंज है।
दरअसल, 14 अगस्त 2025 को यूपी विधानसभा में ‘उत्तर प्रदेश राज्य विधान मंडल सदस्य और मंत्री सुख-सुविधा (संशोधन) विधेयक, 2025’ पास हुआ, और इसके साथ ही विधायकों व मंत्रियों के वेतन और भत्तों में 40% की बढ़ोतरी हो गई। पिछली बार यह ‘खुशखबरी’ 2016 में आई थी। अब एक विधायक का मूल वेतन 25,000 से बढ़कर 35,000 हो गया और कुल सैलरी भत्तों समेत 2.01 लाख से बढ़कर 2.66 लाख प्रति माह पहुंच गई। हर महीने उनकी जेब में 67,750 का अतिरिक्त नोटों का गुलदस्ता आ गिरेगा। क्षेत्र भत्ता 50,000 से 75,000, सचिव भत्ता 20,000 से 30,000, चिकित्सा भत्ता 30,000 से 45,000, टेलीफोन भत्ता 6,000 से 9,000 और रेलवे कूपन सालाना 4.25 लाख से बढ़कर 5 लाख हो गए। सत्र के दौरान दैनिक भत्ता भी 2,000 से बढ़कर 2,500 कर दिया गया है।
मंत्रियों की स्थिति तो और भी शानदार हो गई। उनका मूल वेतन 40,000 से बढ़कर 50,000 और कुल सैलरी 2.11 लाख से बढ़कर 2.76 लाख हो गई,यानी हर महीने 77,750 का फायदा। मुख्यमंत्री की मौजूदा सैलरी 3.65 लाख प्रति माह है, और उसमें भी बढ़ोतरी की संभावना है। पूर्व विधायकों की पेंशन भी 25,000 से बढ़कर 35,000 हो गई, परिवार पेंशन 25,000 से 30,000 और रेलवे कूपन 1 लाख से 1.5 लाख सालाना हो गए। इस पूरी बढ़ोतरी का असर राज्य के खजाने पर भी भारी है—सालाना 105.21 करोड़ का अतिरिक्त बोझ। मगर विधानसभा में यह बिल पास होते वक्त न तो विरोध के स्वर सुनाई दिए, न ही कोई हंगामा। सपा, कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों ने भी सर्वसम्मति से समर्थन कर दिया।
दूसरी तरफ, यूपी के ग्रामीण स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षामित्र और अनुदेशक आज भी संघर्ष कर रहे हैं। एक शिक्षामित्र की मौजूदा सैलरी 10,000 है, जो 2017 में 3,500 से बढ़ाकर दी गई थी,यानी 8 साल से कोई बदलाव नहीं। अनुदेशक 9,000 प्रतिमाह पाते हैं, और उनकी भी आखिरी बढ़ोतरी 2017 में ही हुई थी। इन शिक्षकों की मांग है कि उन्हें 25,000-30,000 (शिक्षामित्र) और 22,000-25,000 (अनुदेशक) मासिक मानदेय दिया जाए, साथ ही नियमितीकरण और सरकारी कर्मचारी का दर्जा भी मिले।
अब सवाल उठता है कि क्या ऐसा हो सकता है? सरकार के पास फिलहाल एक प्रस्ताव है,शिक्षामित्रों का मानदेय 17,000 से 25,000 और अनुदेशकों का 22,000 प्रति माह करने का। साथ ही हर तीन साल में स्वचालित बढ़ोतरी का प्रावधान भी शामिल है। वित्त विभाग इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुका है, और अब गेंद कैबिनेट के पाले में है। संभावना जताई जा रही है कि दीवाली 2025 से पहले यह बढ़ोतरी लागू हो सकती है, लेकिन नियमितीकरण के मुद्दे पर सरकार अब भी चुप है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का बयान इस मुद्दे पर खासा ठंडा रहा—उन्होंने बजट सत्र 2025 में कहा कि फिलहाल मानदेय बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है, हां, तबादले की सुविधा जरूर दी जाएगी। सोशल मीडिया पर शिक्षामित्र और अनुदेशक अपनी मांगों को लेकर मुखर हैं। उनका कहना है कि 10,000 में आज के महंगाई के दौर में घर चलाना नामुमकिन है।
अगर तुलना करें, तो तस्वीर और भी साफ हो जाती है,एक विधायक की सैलरी अब 26 शिक्षामित्रों के बराबर है। मंत्रियों की सैलरी शिक्षामित्रों की मांग से 10-15 गुना ज्यादा है। नेताओं की इस बढ़ोतरी का सालाना बोझ 105.21 करोड़ है, जबकि अगर 1.5 लाख शिक्षामित्रों और अनुदेशकों का मानदेय 25,000 कर दिया जाए, तो सालाना खर्च 4,500 करोड़ आएगा। शिक्षक संगठन कहते हैं कि यह खर्च बड़ा जरूर है, लेकिन शिक्षा में निवेश ही असली विकास की नींव है।
इस वक्त यूपी की ‘सैलरी सागा’ का मंच दो हिस्सों में बंटा है,नेताओं का हिस्सा पहले ही ब्लॉकबस्टर हिट बन चुका है, जबकि शिक्षकों का हिस्सा अभी ‘इंटरवल’ में अटका है। अगर सरकार दीवाली तक उनकी सैलरी बढ़ा देती है, तो कहानी का अंत खुशहाल हो सकता है, वरना अगली किस्त में गुस्से और विरोध का स्क्रिप्ट तैयार है। तो सवाल यही है,क्या नेताओं की सैलरी बढ़ना ‘जनसेवा’ का इनाम है, या शिक्षकों की अनदेखी सियासत का असली चेहरा? जनता, सोशल मीडिया और अदालत,सबकी निगाहें अब कैबिनेट के अगले सीन पर हैं, और इंतजार है कि इस पिक्चर का असली हीरो कौन बनेगा,नेता जी या वो शिक्षक जो 10,000 में भविष्य गढ़ रहा है।
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं.)


















































