लोकसभा चुनाव 2019 की सबसे हाई प्रोफाइल सीट वाराणसी लोकसभा सीट है. पीएम मोदी यहां से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ शालिनी यादव को मैदान में उतारा है. शालिनी कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी रह चुकी हैं. उन्होंने पाला बदलकर सोमवार को समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. वाराणसी की यह सीट गठबंधन में समाजवादी पार्टी के खाते में गिरी है.
शालिनी यादव के ससुर स्वर्गीय श्यामलाल यादव पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. राज्यसभा के उपसभापति रह चुके हैं. आज ही शालिनी समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं और आज ही उन्हें पार्टी ने टिकट दे दिया.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने अभी तक वाराणसी से उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. यहां से पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकले हैं. प्रियंका गांधी भी इशारा दे चुकी हैं कि वह पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
वायनाड में राहुल गांधी के लिए प्रचार करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा था, ‘अगर राहुल गांधी कहेंगे तो मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं और मैं वाराणसी से लड़ूंगी.’ अगर कांग्रेस वाराणसी से प्रियंका को उतारती है तो इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.
नरेंद्र मोदी के आने से पहले वाराणसी से 2009 का चुनाव बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने लड़ा था और विजयी रहे थे. 2014 में भी जोशी यहीं से लड़ना चाहते थे, लेकिन मोदी की वजह से उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ गई थी. 1952 में वाराणसी (सेंट्रल) से कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को जीत मिली थी और वह 1962 तक यहां से लगातार 3 बार विजयी रहे थे. 1967 के चुनाव में सत्यनारायण सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट पर लड़े और उन्हें यहां से जीत मिली.
1990 के दशक देश में मंदिर आंदोलन शुरू होने के बाद बीजेपी एक नई ताकत के रूप में उभरी और 1991 से 1999 तक लगातार 4 चुनावों में बीजेपी को जीत हासिल हुई. 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने एक अरसे बाद वापसी की. कांग्रेस उम्मीदवार डॉक्टर राजेश कुमार मिश्रा ने यहां से 3 बार के सांसद शंकर प्रसाद जयसवाल को हरा दिया. फिर 2009 के चुनाव में बीजेपी ने कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल करते हुए अपनी पार्टी की पकड़ को बनाए रखा. फिर 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने यहां आकर बड़ी जीत हासिल की और देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए. 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी एक बार फिर बीजेपी प्रत्याशी के रूप में अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं.
2011 की जनगणना के मुताबिक 36.8 लाख है जिसमें 19.2 लाख (52%) पुरुष और 17.5 लाख (48%) महिलाओं की आबादी शामिल है. इनमें से 86% आबादी सामान्य वर्ग की है, जबकि 13% आबादी अनुसूचित जाति की है और महज 1% आबादी अनुसूचित जनजाति की है. इसमें 57% यानी 20.8 लाख आबादी ग्रामीण इलाकों में और 43% यानी 16 लाख आबादी शहरी इलाकों में रहती है.
धर्म के आधार पर वाराणसी में 85 फीसदी आबादी हिंदुओं की है जबकि 15 फीसदी मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं. यहां के लिंगानुपात का अनुपात देखा जाए तो प्रति हजार पुरुषों पर 913 हिंदू और 915 मुसलमान महिलाएं रहती हैं. वाराणसी का साक्षरता दर 76% है जिसमें 84 फीसदी पुरुषों की आबादी तो 67% महिलाओं की आबादी साक्षर है.
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