उत्तर प्रदेश के सोनभद्र (Sonbhadra) में दुद्धी सीट से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड (BJP MLA Ramdular Gond) को 2014 में नाबालिग से रेप के मामले में सजा सुना दी गई है। भाजपा विधायक को कोर्ट ने 25 साल की कैद और 10 लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को दी जाएगी। किशोरी से दुष्कर्म मामले में सोनभद्र की एमपी/एमएलए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
2014 को किशोरी से हुआ था दुष्कर्म
इससे पहले 12 दिसंबर को सोनभद्र की एमपी/एमएलए कोर्ट ने विधायक को नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया था। विधायक पर दोष सिद्ध होने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। दरअसल, 9 साल पहले म्योरपुर थाने में रामदुलार गोंड के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। उस समय वह प्रधानपति थे। अभियोजन के अनुसार, 4 नवंबर 2014 में रामदुलार गोंड ने एक गांव की किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। किशोरी के परिजनों को जब इसकी जानकारी हुई तो पीड़िता के भाई ने म्योरपुर कोतवाली में तहरीर दी। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर अदालत में पत्रावली प्रस्तुत कर दी।
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लंबी सुनवाई के बाद बीते शुक्रवार को अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी व विकाश शाक्य ने विधायक रामदुलार गोंड के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत किए। वहीं, विधायक की तरफ से अधिवक्ता रामवृक्ष तिवारी ने दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद फैसले की तारीख 12 दिसंबर तय की थी। मंगलवार को लंच के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एहसानुल्लाह खान ने मामले की सुनवाई करते हुए विधायक रामदुलार गोंड को दोषी करार दिया था।
UP: भाजपा विधायक को 25 साल की सजा
पास्को एक्ट में @BJP4UP के MLA रामदुलार गोंड को मिली सजा
सोनभद्र की दुद्धी सीट से विधायक है रामदुलार गोंड
MP/MLA कोर्ट ने सुनाई सजा, 10 लाख का जुर्माना भी लगाया#BJP विधायक की सदस्यता भी होगी रद्द@BJP4India @samajwadiparty @INCUttarPradesh pic.twitter.com/p1XpxqfUc5
— राजेश सिंह (सुदर्शन न्यूज़) (@RajeshSinghSTV) December 15, 2023
भाजपा विधायक की सदस्यता जाना तय
वहीं, भाजपा विधायक रामदुलार गोंड की सजा का ऐलान होने के बाद अब उनकी सदस्यता जाना तय माना जा रहा है। कानून के अनुसार, कोर्ट अगर किसी जनप्रतिनिधि को 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाती है तो ऐसे में खुद-ब-खुद उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है। जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द होने के बाद विधानसभा सचिवालय एक लेटर जारी करके उस सीट को रिक्त घोषित कर देता है। सीट रिक्त होने की जानकारी सचिवालय चुनाव आयोग को देता है। इसके बाद चुनाव आयोग उस सीट पर उपचुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करता है।
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