सभी के जीवन में शिक्षकों की अहमियत बहुत ज्यादा होती है. पूरे भारत देश में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है. इस दिन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) का जन्म हुआ था. उन्होंने शिक्षकों की अहमियत बताते हुए अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जाहिर की थी. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. साल 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया. ऐसे ही क्रिकेट की दुनिया में भी गुरु-चेले की तमाम जोड़ियां हैं, जो एक मिसाल हैं. आइये जानते है गुरु-चेले की जोड़ी के कुछ मजेदार किस्सों के बारे में…
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मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर
क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अगर खुद का नाम इतना रोशन किया है तो उसके पीछे की बड़ी वजह उनके गुरु रमाकांत आचरेकर हैं. सचिन की प्रतिभा को पहचानने वाले आचरेकर पहले व्यक्ति थें जिन्होंने ही सचिन काे क्रिकेट सिखाया. सचिन जब बचपन में नेट्स पर खेलते-खेलते थक जाते थे तो आचरेकर स्टंप पर एक सिक्का रख देते थे और जो सचिन को आउट करता, वह सिक्का उसका हो जाता था. इसके अलावा उन्होंने विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दिगे और बलविंदर सिंह संधू जैसे क्रिकेटरों को भी निखारा है.
भारतीय कप्तान विराट कोहली
विराट कोहली (Virat Kohli) के जीवन में उनके बचपन के कोच राजकुमार शर्मा की अहम भूमिका रही है. कोहली ने दिल्ली में रहकर कोच राजकुमार से क्रिकेट की एबीसीडी सीखी. कोहली अपने कोच का बेहद सम्मान करते हैं और उन्होंने साल 2014 में शिक्षक दिवस के मौके पर अपने कोच को स्कोडा रैपिड तोहफे में दी थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोहली की शानदार उपलब्धियों के लिए राजकुमार को साल 2016 में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी
महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के कोच केशव बनर्जी ने ही उन्हें फुटबॉल की फील्ड से निकालकर क्रिकेट की दुनिया में लेकर आए. धोनी बचपन में फुटबॉल खेलते थे और गोलकीपिंग करते थे. केशव ने ही उन्हें फुटबॉल छोड़कर स्कूल की टीम में विकेटकीपिंग करने को कहा और यहीं से धोनी के क्रिकेट के सफर की शुरुआत की. स्कूल की टीम के बाद धोनी ने पलट कर नहीं देखा और पहले रणजी और आखिरकार भारतीय टीम में पहुंचे और दुनिया भर में अपना नाम पहुंचाया.
युवराज सिंह ‘युवी’
युवराज सिंह (Yuvraj Singh) अपने अंडर19 के दिनों से ही स्टार क्रिकेटर माने जाते थे. इसकी बड़ी वजह थे उनके पिता और कोच योगराज सिंह. योगराज ने उन्हें बचपन से ही कड़ी ट्रेनिंग दी जिसके कारण युवराज उन्हें ड्रैगन कहा करते हैं. युवराज सिंह को स्केटिंग का शौक था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें कोई और खेल खेलने नहीं दिया. योगराज सिंह खुद भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेल चुके हैं. वो पंजाबी फिल्मों में हीरो रह चुके हैं. लेकिन जिस बात के लिए हाल के बरसों में उनकी ज्यादा चर्चा हुई है, वो उनका उग्र व्यवहार है.
अजिंक्य रहाणे
अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) के कोच प्रवीण आमरे ने उनके करियर में अहम भूमिका निभाई. आज भी जब-जब रहाणे खराब फॉर्म के चलते निशाने पर आते हैं, आमरे हमेशा उनके बचाव के लिए आगे आते हैं. मुंबई से ताल्लुक रखते हैं और घरेलू क्रिकेट में मुंबई के अलावा रेलवे, राजस्थान और बंगाल के लिए भी खेल चुके हैं. उन्होंने भी रमाकांत आचरेकर से क्रिकेट के गुर सीखे थे. आचरेकर ने उनको लेकर कहा था कि वह एक दिन सचिन तेदुलकर से भी बड़े क्रिकेटर बनेंगे.
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