लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया है। बुधवार को लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव का लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में शुक्रवार को चर्चा होगी। इसके बाद इसपर वोटिंग भी कराई जाएगी, कुल 8 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए थे लेकिन स्पीकर ने सिर्फ टीडीपी के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।
जानिए क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
सरकार के खिलाफ विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं। इसे लोकसभा स्पीकर मंजूर या नामंजूर करते हैं, इसे केंद्र के मामले में लोकसभा और राज्य के मामले में विधानसभा में लाया जाता है। इसके स्वीकार होने के बाद सत्ता में रह रही पार्टी को सदन में बहुमत साबित करना होता है। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदस्यों को कोई कारण बताने की जरूरत नहीं होती है।
जब विपक्ष को लगता है कि सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है या सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है तब अविश्वास प्रस्ताव को लाया जाता है इस प्रस्ताव को लोकसभा में लाया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव कभी भी राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता।
नियम के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए संसद के सदस्य को सुबह 10 बजे के पहले लिखित नोटिस देना होता है, इस नोटिस को लोकसभा स्पीकर सदन के समक्ष पढ़ते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन के कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है, इसके बाद ही स्पीकर इसे स्वीकार करते हैं। प्रस्ताव के स्वीकार होने के 10 दिन के भीतर ही इस पर चर्चा कराए जाने का प्रावधान है, अगर ऐसा नहीं होता है तो इसे विफल मान लिया जाता है और जिस सदस्य ने इसे आगे बढ़ाया होता है उसे इसके बारे में बता दिया जाता है।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद इस पर वोटिंग कराई जाती है, अगर सरकार बहुमत साबित करने में विफल हो जाती है तो प्रधानमंत्री इस्तीफा दे देते हैं और सरकार गिर जाती है।










































