‘2 जून 1995, गेस्ट हाउस कांड…’, यूपी की राजनीति का वो दिन जब सत्ता ने कानून को भी डराया!

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में 1995 का साल संवेदनशील रहा। 2 जून 1995 को लखनऊ स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में हुई घटना ने सियासी माहौल को हिला कर रख दिया। इस कांड ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के बीच गहरी दरार पैदा कर दी और दोनों दलों को कट्टर विरोधी बना दिया।

सपा-बसपा गठबंधन और चुनावी पृष्ठभूमि 

1995 के विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन सत्ता में था। उस समय उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और कुल 422 सीटें थीं। सपा ने 256 सीटों पर चुनाव लड़ा और बसपा को 164 सीटें दी गईं। चुनावी नतीजों में गठबंधन विजयी रहा, जिसमें सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिलीं। इसके बाद मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। हालांकि सत्ता मिलने के बावजूद दोनों दलों के बीच आंतरिक मतभेद लगातार बढ़ रहे थे।

मुलायम सिंह यादव और कांशीराम के बीच बढ़ते तनाव

23 मई 1995 को मुलायम सिंह यादव ने बसपा प्रमुख कांशीराम से मुलाकात की, लेकिन कांशीराम ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उसी रात कांशीराम ने भाजपा नेता लालजी टंडन से गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा की। कांशीराम अस्पताल में भर्ती थे और उनके साथ मायावती और राज्यसभा सांसद जयंत मल्होत्रा मौजूद थे। इसी दौरान कांशीराम ने मायावती से सवाल किया कि क्या वह प्रदेश की मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं।

गेस्ट हाउस पर हिंसक हमला

2 जून 1995 को मायावती बसपा विधायकों के साथ गेस्ट हाउस में बैठक कर रही थीं। मुलायम के समर्थकों को जानकारी मिली कि कुछ बसपा विधायक सपा के समर्थन में जा सकते हैं। इसके बाद मुलायम ने बाहुबलियों को गेस्ट हाउस भेजा। इस हिंसा में विधायकों को धमकाया गया और दो घंटे तक संघर्ष चलता रहा। यहाँ तक की मायावती के अपहरण की कोशिश और कपड़े तक फाड़ दिए गए थे।

मायावती के साथ अभद्रता

इसी गेस्ट हाउस में हुआ कांड।

हमले के दौरान बचाव के लिए मायावती अपने समर्थकों के साथ एक कमरे बंद हो गई थी । सपा समर्थकों ने कमरे का गेट तोड़ने की कोशिश की और उनके साथ जातिसूचक तथा लिंगसूचक गालियाँ दीं। पुलिस ने हस्तक्षेप नहीं किया, क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री के निर्देश थे। अंततः जिलाधिकारी राजीव खेर ने पुलिस की मदद से भीड़ को हटाया, लेकिन उन्हें उसी रात ट्रांसफर कर दिया गया।

राजनीतिक संबंधों पर गहरा असर

इस घटना ने सपा और बसपा के बीच गहरा विवाद खड़ा कर दिया। मायावती ने बार-बार इस घटना का जिक्र रैलियों और अपनी आत्मकथा में किया। उन्होंने लिखा कि इस हमले में उनके और बसपा विधायकों की जान को गंभीर खतरा था।

जांच और रिपोर्ट

कांड की जांच के लिए रमेश चंद्र कमेटी बनाई गई। अपनी 89 पृष्ठ की रिपोर्ट में कमेटी ने मुलायम सिंह यादव को आपराधिक षड्यंत्र का जिम्मेदार ठहराया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख था कि इस योजना को पहले से तैयार किया गया था और इसके लिए कुछ अधिकारियों को पहले से लखनऊ ट्रांसफर किया गया था।

24 साल बाद सुलह

19 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा गठबंधन के दौरान मुलायम और मायावती एक मंच पर दिखाई दिए। चुनाव से पहले मायावती ने गेस्ट हाउस कांड से जुड़े मामले को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया। हालांकि, गठबंधन चुनाव के बाद टूट गया।

(देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं.)