समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ‘दुलरुआ’ यानी कि बेहद करीब रहे तथाकथित सामजिक कार्यकर्ता फ्रैंक हुजूर ने लाख ड्रामे किये लेकिन राज्य सम्पत्ति आयोग ने शनिवार उनसे को बंगला खाली करवा लिया. फ्रैंक हुजूर अनधिकृत रूप से सरकारी बंगले में रह रहे थे.
सरकार की कार्रवाई से बचने के लिए फ्रैंक हुजूर कई कोशिशें की, उन्होंने मीडिया के सामने आकर कहा, “सरकार को मानवीय आधार पर मुझे बंगला खाली करने के लिए कुछ दिन का समय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरा परिवार भी बाहर है. साथ ही मेरे घर में 47 से बिल्लियां भी पल रहीं हैं उनको लेकर मैं कहां जाऊंगा. फ्रैंक ने कहा कि मुझे कम से कम एक हफ्ते का समय तो देना ही चाहिए, लेकिन इनकी एक न चली और राज्य संपत्ति आयोग ने पुलिस बल के साथ पहुंचकर बंगला खाली करवा लिया. बिल्लियों को लेकर वन विभाग ने इस मामले में संज्ञान लिया है. वहीं नगर निगम ने बिल्लियों के रजिस्ट्रेशन की जांच की बात कही है.
बता दें कि सत्यनारायण शुक्ल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दे दिया था. खुद पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपना बंगला खाली कर दिया. लेकिन इसी याचिका का हवाला देकर भी राज्य संपत्ति विभाग फ्रैंक हुजूर से सरकारी आवास खाली नहीं करवा पा रही थी . जो पिछली सरकार में अखिलेश यादव के ‘दुलरुआ’ माने जाते थे.
शासन ने B-5 दिलकुशा आवास बाल आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा को आवंटित किया है, लेकिन फ्रैंक हुजूर की दबंगई और अधिकारीयों से साठगाठ की वजह से सरकार का अंग होते हुए भी अभी तक प्रीति वर्मा को यह बंगला नहीं मिल पाया था.
जानकारी के मुताबिक, फ्रैंक हुजूर बिहार के रहने वाले हैं और खुद को अखिलेश यादव का रिश्तेदार बताते हैं. ये अपना पूरा नाम फ्रैंक हुजूर यादव लिखते हैं. बिहार से उत्तर प्रदेश आने के बाद जनाब फ्रैंक हुजूर बने और इसी नाम से विख्यात हो गए। बताया जा रहा है कि फ्रैंक हुजूर अपनी 47 पालतू बिल्लियों के साथ B-5 दिलकुशा आवास में अभी तक जमे हुए थे.
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