इस दिन है देवोत्थान एकादशी, जानें तिथि मुहूर्त व पूजा विधि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकदाशी को देवउत्थान एकदाशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल देवउत्थान को जागते हैं। चतुर्मास एकादशी जुलाई में थी। देवउत्थान एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस एकादशी को कई नामों से जाना जाता है जैसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी।

क्यों मनाते हैं देवउत्थान एकादशी

जानकारी के मुताबिक, भगवान विष्णु शंखासुर नाम के राक्षस का वध कर आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं, के दिन क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर शयन करने चले गए थे। चार महीनों की योग निद्रा के बाद देवउठानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। जिसके चलते इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। शादी आदि के मुहूर्त खुल जाते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल 14 नवंबर 2021, रविवार के दिन देवउत्थान एकादशी तिथि है।

देवउत्थान एकादशी व्रत और पूजन इसलिए है महत्वपूर्ण

-मान्यता है कि देवउत्थान एकादशी का व्रत को बुद्धिमान, शांति प्रदाता और संततिदायक माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। साथ ही, भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाता है।

-पौराणिक ग्रंथों के अनुसार देवउत्थान एकादशी पर व्रत और पूजन करने से इसका फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ करने के बराबर मिलता है।

-इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि इस दिन व्रत-पूजन, दान-पुण्य और नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं। साथ ही, जन्म-मरण के चक्र से भी मुक्ति मिलती है।

-देवउत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन और व्रत करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु का चरणामृत पीने से मोक्ष प्राप्ति होता है।

-इस दिन पूजन के अंत में ‘ऊं भूत वर्तमान समस्त पाप निवृत्तय-निवृत्तय फट्’ मंत्र की 21 माला का जाप करना चाहिए। इसके बाद अग्नि में शुद्ध घी की 108 आहुतियां देने से जीवन के सारे रोगों, कष्टों और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार चातुर्मास का आरंभ इस वर्ष 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन हुआ था। जिसका समापन 14 नवंबर को देवउठानी एकादशी के दिन होगा। एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 05:48 बजे से शुरू हो कर 15 नवंबर को सुबह 06:39 बजे समाप्त होगी। एकादशी तिथि का सूर्योदय 14 नवंबर को होने के कारण देवात्थान एकादशी का व्रत और पूजन इसी दिन होगा।

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