पूरा मामला मध्य प्रदेश के जिला जबलपुर के ‘कनिष्ठा बुनियादी मिडिल स्कूल’ नामक एक सरकारी स्कूल का है. जहां के प्रिंसिपल ने मध्य प्रदेश के मौजूदा सीएम कमलनाथ को डाकू कह दिया. प्रिंसिपल द्वारा शिवराज सिंह को ‘अपना’ और कमलनाथ को ‘डाकू’ कहने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उसके बाद तो कांग्रेस की ओर से प्रिंसिपल मुकेश तिवारी को बर्खास्त करने की मांग उठी और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर छवि भारद्वाज ने उसे नौकरी से निकालने का फरमान सुना दिया. खैर जब सरकार ही अपनी है तो फिर किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को नौकरी से निकालना उनके बांये हाथ का खेल है.
प्रिंसिपल ने कही ये बातें
प्रिंसिपल मुकेश तिवारी ने कहा- ‘पिछले 14 सालों से यहां भाजपा की सरकार रही और अब तो कांग्रेस भी आ गई. देखते हैं क्या होता है. हमारे अपने लोगों ने ही हमें परेशान किया है तो गैरों से क्या उम्मीद कर सकते हैं. अब तो अब सारा काम समाज के भरोसे है, क्योंकि शिवराज जी जैसे भी हों, ‘अपने’ है, कमलनाथ तो डाकू हैं’. ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद कांग्रेस ने प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत की.
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अपने गिरेबां में झांके कांग्रेस
संसद से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह राहुल गांधी ये कहते नजर आते हैं कि ‘चौकीदार चोर है’. यह चौकीदार शब्द पीएम मोदी के लिए कहते हैं और राफेल डील में घोटाला करने का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी को चोर कहते हैं. पीएम मोदी को चोर कहने वाली कांग्रेस अपने किसी नेता के लिए डाकू कहा जाना बर्दाश्त नहीं हुआ और ऐसा कहने वाले शख्स को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत है कि आखिर जब वो खुद इस तरह की बयानबाजी करने से नहीं चूकती है, तो फिर अगर किसी ने उसके नेता पर कोई ऐसा बयान दे दिया तो उसके खिलाफ एक्शन क्यों? इसे कांग्रेस का दोहरा चरित्र नहीं तो फिर क्या कहें? स्कूल के प्रिंसिपल को बर्खास्त करने के पीछे ये तर्क दिया गया है कि वायरल वीडियो देखकर साफ होता है कि उस प्रिंसिपल ने मध्य प्रदेश सिविल सर्विसेस रूल्स का उल्लंघन किया है.
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क्या फ्रीडम ऑफ स्पीच है सिर्फ कांग्रेस का अधिकार?
फ्रीडम ऑफ स्पीच को कांग्रेस सिर्फ अपना अधिकार समझती है. तभी तो राहुल गांधी के इतना कुछ कहने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती, जबकि एक आम आदमी की एक बात इतनी चुभ जाती है कि उसे नौकरी से ही निकाल दिया जाता है. पिछले 15 सालों में मध्य प्रदेश में भाजपा का शासन था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने भाजपा को हराकर सत्ता पर कब्जा कर लिया है. क्या ये मध्य प्रदेश में एक संदेश है कि जो भी कोई कमलनाथ सरकार के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसके खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई होगी? उस अधिकारी को पहले एक नोटिस भेजा जा सकता था, उसे अपनी बात कहने का या यूं कहें कि अपनी सफाई देने का मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन कमलनाथ सरकार ने तो उसकी रोजी-रोटी पर ही लात मार दी.
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कांग्रेस भी पीएम मोदी को चोर कहती है
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी इस हद तक बढ़ चुकी है कि लगता है कांग्रेस सिर्फ आलोचना करना जानती है, सहना नहीं. इसलिए कांग्रेस आए दिन पीएम नरेंद्र मोदी को चोर कहती रहती है और उसके एक नेता को किसी ने डाकू क्या कह दिया, बेचारे को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. अब इसे दोहरा चरित्र नहीं तो फिर क्या कहेंगे. जब खुद ही दूसरों को चोर-चोर कहकर उन पर हमला करते हैं, तो फिर खुद की आलोचना झेलने की हिम्मत भी होनी चाहिए.
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