World Asthama Day 2022: आज है विश्व अस्थमा दिवस, जानें कैसे करें इसके लक्षणों की पहचान और बचाव

 

आज विश्व अस्थमा दिवस है, जिसे हर साल तीन मई को मनाया जाता है. आज के दिन जगह जगह कैंपेन लगाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाता है. अस्थमा सांस की नली और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें कई बार सही समय पर मरीज को इलाज ना मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है. यह रोग बच्चों से लेकर वयस्कों को कभी भी हो सकता है. इस वर्ष इस दिवस की थीम रखी गई है ‘क्लोजिंग गैप्स इन अस्थमा केयर’ ( Closing Gaps in Asthma Care).अस्थमा एक लंबे समय तक चलने वाली सूजन संबंधी बीमारी है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करती है. आइए आपको भी अस्थमा में लक्षण, और बचाव के उपाय बताते हैं.

क्या है अस्थमा

हीरानंदानी हॉस्पिटल (वाशी, मुंबई)- फोर्टिस नेटवर्क हॉस्पिटल के डायरेक्टर- पल्मोनोलॉजी डॉ. प्रशांत छाजेड कहते हैं अस्थमा होने पर सांस की नली (एयरवेज) में सूजन या इंफ्लेमेशन हो जाता है, जिसके कारण सांस की नलिका के पैसेज सिकुड़ जाते हैं. नलिका के पैसेज जब सिकुड़ जाते हैं, तो अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. इसके अलावा सांस की नलिका के पास जो स्मूद मसल्स होते हैं, वे भी संकीर्ण हो जाती हैं. जब संकीर्णता या सिकुड़न हद से ज्यादा हो जाती है, तो अस्थमा के लक्षण में सीटी जैसी आवाज आने लगती है. जब भी कोई हवा संकीर्ण हुई पैसेज से गुजरती है, तो सीटी जैसी आवाज आती है.

डॉ. प्रशांत छाजेड कहते हैं कि मुख्य रूप से हवा में मौजूद एरो एलर्जन (हवा में मौजूद एलर्जन) के कारण अस्थमा के लक्षण ट्रिगर होते हैं. सबसे कॉमन एलर्जन है धूल-मिट्टी. इसके साथ ही पोलन या पराग, फंगस, पालतू जानवरों की रूसी (डैंडर) आदि के कारण एलर्जी हो सकती है. एरो एलर्जन बेहद ही कॉमन कारण है, जिसकी वजन से अस्थमा के लक्षण नजर आते हैं या ट्रिगर हो सकते हैं. इसके अलावा, प्रदूषण, वायरल इंफेक्शन के कारण अस्थमा के लक्षण नजर आ सकते हैं. वायरल इंफेक्शन जब ठीक हो जाता है, तो सांस की नलिका में कई बार सूजन हो जाता है, जिसे पोस्ट वायरल ब्रोंकाइटिस कहा जाता है. इसी के कारण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षण बढ़ सकते हैं.

इसके अलावा, एक्सरसाइज इंड्यूस्ड अस्थमा भी कुछ लोगों में होता है. इसमें एक्सरसाइज करने के दौरान अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं. कुछ लोगों में मौसम में बदलाव होने के कारण भी अस्थमा हो सकता है, जिसे सीजनल अस्थमा कहते हैं. इसमें मौसम बदलने के कारण लक्षण बढ़ जाते हैं. कई बार स्ट्रेस, एंग्जायटी, भावनात्मक रूप से कोई परेशान होती है, इस वजह से भी अस्थमा बढ़ सकता है.

अस्थमा से बचाव के उपाय और इलाज

अस्थमा को स्थायी रूप से तो ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके ट्रिगर्स पर काम करके इसे कंट्रोल में जरूर रख सकते हैं. इसके लिए अस्थमा से ग्रस्त व्यक्ति को धूल-मिट्टी से बच कर रहना चाहिए. घर में कार्पेट या अन्य चीजों पर धूल ना जमने दें. चादर, तकिया कवर को गर्म पानी में साफ करें. एलर्जन से बचकर रहें. ऐसा करने से अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर होने से बचाया जा सकता है. अस्थमा है या नहीं इसके लिए लंग फंक्शन टेस्ट और पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट किया जाता है. यदि आपको अस्थमा के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो इसका ये मतलब नहीं कि खुद से आप दवाएं लेना बंद कर दें. डॉक्टर के बिना सलाह के दवाएं खाना बंद ना करें.

किस उम्र में हो सकता है अस्थमा

अस्थमा बच्चों, युवाओं से लेकर वयस्कों में कभी भी हो सकता है. बचपन में होने वाले अस्थमा को चाइल्डहुड अस्थमा कहते हैं. ये बीमारी हर उम्र के व्यक्ति को हो सकती है.

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