उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से पूर्व विधायक व माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से तगड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मुख्तार के खिलाफ जघन्य अपराधों से जुड़े मामलों का लंबा इतिहास है और उसे डर है कि यदि वह जमानत पर छूटता है तो वह गवाहों को प्रभावित करेगा और सबूतों से भी छेड़छाड़ करेगा.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी पर जारी किया. दरअसल, बाराबंकी एम्बुलेंस प्रकरण केस में मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. फिलहाल मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है.
गौरतलब है कि बाराबंकी की कोतवाली पुलिस ने मुख्तार को इस मामले में अभियुक्त बनाया है. अभियोजन के अनुसार उस पर आरोप है कि उसने डॉ अलका राय पर दबाव डालकर फर्जी कागजों के आधार पर एक एम्बुलेंस निकलवायी और उसका प्रयोग पंजाब में मोहाली जेल से अदालत आने जाने के लिए किया जाता था.
बताया जाता है कि उस वक्त मुख्तार अंसारी ने जिस एम्बुलेंस का प्रयोग किया था उस एम्बुलेंस का नंबर यूपी के बाराबंकी जिले का निकला था. मामला मुख्तार अंसारी से जुड़ा होने के कारण देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया था, जिसके बाद योगी सरकार भी एक्शन में आ गई थी.
वहीं इस मामले में जब बाराबंकी जिले में छानबीन शुरू हुई तो पता चला कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे साल 2013 में एंबुलेंस बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी. इस मामले में बाराबंकी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मुख्तार अंसारी सहित 13 लोगों को आरोपी पाया था इसमें मऊ के श्याम संजीवनी अस्पताल की संचालिका डॉ. अलका राय पर भी जालसाजी का मुकदमा लिखा गया था.
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