कविवर वृंद के रचे दोहे की एक पंक्ति- ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत-जात के सिल पर परत निशान’ वास्तव में निरंतर परिश्रम का महत्व बताने वाली है. साथ ही निरंतर परिश्रम करने वाले व्यक्ति के लिए अनिवार्य सफलता प्रदान करने वाली है. इस दोहे की ये पंक्ति यूपी की राजधानी लखनऊ के निवासी अजय मिश्रा के उपर एकदम सटीक बैठती है. जो एसडीएम बनने के लिए जीतोड़ मेहनत और पढ़ाई कर रहे है. इस समय अजय डिप्टी एसपी के पद पर है.
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रोज 10 से 11 घंटे की पढ़ाई
अजय मिश्रा मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले है. वह वर्ष 2015 में लखनऊ के इंदिरा नगर में शिफ्ट हो गए थे. अजय के पापा का नाम सुरेंद्र कुमार है और वह एयरफोर्स से रिटायर्ड है. उनकी मम्मी का नाम कृष्णा है और वह हाउसवाइफ है. अजय अपनी मम्मी-पापा के साथ रहते है. उन्होंने दिल्ली में एक वर्ष तक कोचिंग की. इसके बाद उन्होंने लखनऊ में सेल्फ स्टडी की. रोज 10 से 11 घंटे की पढ़ाई करके वह 4 बार लोकसेवा आयोग की मेंस परीक्षा पास की. लेकिन अंतिम पायदान में बाहर हो गए.
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एसडीएम बनना है पसंद
इन दिनों अजय मिश्रा, बिहार पुलिस सर्विस की परीक्षा में डिप्टी एसपी पद पर है. उनका 2 माह का प्रशिक्षण भी पूरा हो चुका है. ऐसे में अजय की पसंद एसडीएम बनना ही है. एसडीएम बनने के लिए अजय खूब पढ़ाई का रहे है. 23वीं रैंक हासिल करने वाले अजय मिश्रा ने कहा कि पुलिस सर्विस में केवल लॉ एंड ऑर्डर पर ही काम करना संभव है. वहीं नई नौकरी होम स्टेट के साथ विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का मौका प्रदान करेगी.
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