उत्तर प्रदेश के बरेली (Bareilly) जिले की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ‘लव जिहाद’ के तहत अवैध धर्मांतरण (Conversion) के मामले पर गंभीर टिप्पणी की है। एडीजे रवि कुमार दिवाकर ने पहचान छिपाकर शादी, यौन संबंध और गर्भपात कराने के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह प्रकरण लव जिहाद (Love Jihad) के माध्यम से अवैध धर्मांतरण का है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए निशाना बना रहे हैं, जिससे देश में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करने की साजिश हो रही है।
धर्मांतरण में विदेशी फंडिंग की आशंका
कोर्ट ने इस संदर्भ में विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई है। आदेश में कहा गया है कि मनोवैज्ञानिक दबाव, लालच, शादी और नौकरी जैसे प्रलोभनों के जरिए धर्मांतरण किया जा रहा है, जो देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है। कोर्ट ने इस मुद्दे को हल्के में न लेने की चेतावनी दी है और कहा कि समय रहते अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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मोहम्मद आलिम का मामला
प्रश्नगत मामले में आरोपी मोहम्मद आलिम ने अपनी पहचान छिपाकर पीड़िता को धोखे में रखा और उससे शादी और यौन शोषण किया। अदालत ने कहा कि इस तरह के अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021’ पारित किया है। संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोर्ट के आदेश की प्रति मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजने का निर्देश दिया गया है।
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