उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शाहजहांपुर (Shahjahanpur), मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) और अलीगढ़ (Aligarh) में नगर निकायों से जुड़ी शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने सख्त रुख अपनाया है। सीएम के निर्देश पर शासन ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम राज्य सरकार द्वारा नगर विकास विभाग को सौंपे गए नियमित निरीक्षण और शिकायत निवारण के निर्देशों के अंतर्गत उठाया गया है।
शाहजहांपुर, वर्चुअल बोर्ड बैठकें बनी मुसीबत का कारण
शाहजहांपुर (Shahjahanpur) जिले की नगर पंचायत कांट की अध्यक्ष मुनरा बेगम (Munra Begum) पर आरोप है कि उन्होंने फरवरी 2024 से अप्रैल 2025 के बीच आयोजित 14 बोर्ड बैठकों में व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं लिया और एक अन्य व्यक्ति को ऑडियो कॉल के माध्यम से बैठक में शामिल किया। मुख्य विकास अधिकारी की जांच में यह व्यवस्था नगर पालिका अधिनियम, 1916 के नियमों के खिलाफ पाई गई। जिलाधिकारी ने इस मामले में रिपोर्ट शासन को भेजते हुए अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी करने और विधिसम्मत कार्रवाई की संस्तुति दी है।
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मुजफ्फरनगर, महिला कर्मचारी से दुर्व्यवहार और आदेशों की अनदेखी
मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) नगर पालिका परिषद में कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार (Dinesh kumar) के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं। उन पर न केवल वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने का आरोप है, बल्कि महिला अधीनस्थों के साथ दुर्व्यवहार करने और जानबूझकर सार्वजनिक कार्यों में व्यवधान डालने की भी शिकायतें मिली हैं। इस मामले में अपर आयुक्त (प्रशासन), सहारनपुर मंडल को जांच अधिकारी नियुक्त कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
अलीगढ़, उप नगर आयुक्त की गैरहाजिरी और लापरवाही
अलीगढ़ (Aligarh) नगर निगम में तैनात उप नगर आयुक्त अमित कुमार सिंह (Amit Kumar Singh) के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने बिना अनुमति लगातार कार्यालय से अनुपस्थिति दर्ज की और गृहकर वसूली, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गमन, अतिक्रमण नियंत्रण जैसे प्रशासनिक कार्यों में घोर लापरवाही बरती। इस पर राज्य सेवा नियमावली 1966 और अनुशासन नियम 1999 के तहत प्रारंभिक जांच शुरू करते हुए अपर आयुक्त (प्रशासन), अलीगढ़ मंडल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
जवाबदेही तय करने पर ज़ोर
इन सभी मामलों को लेकर नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने स्पष्ट किया कि नगर निकायों में कार्यरत अधिकारियों की जवाबदेही तय करना शासन की प्राथमिकता है। शासन ने कहा है कि किसी भी प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच के बाद कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।