लखनऊ (Lucknow) स्थित प्रतिष्ठित ताज होटल में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बौद्धिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक राम माधव (Ram Madhav) की नई पुस्तक ‘The New World: 21st Century Global Order and India’ का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर न केवल पुस्तक का विमोचन हुआ, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका, चुनौतियों और अवसरों पर गंभीर संवाद भी हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता IIM लखनऊ के निदेशक प्रो. एम. पी. गुप्ता ने की।
तकनीक ही भविष्य की राह: राम माधव
पुस्तक में राम माधव ने 21वीं सदी में बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वही देश आगे बढ़ेंगे जो तकनीक और नवाचार में अग्रणी होंगे। चाहे वह आम जनजीवन से जुड़ी तकनीक हो या रक्षा क्षेत्र की रणनीतिक तकनीक, हर स्तर पर दक्षता और आत्मनिर्भरता आवश्यक होगी। भारत को यदि वैश्विक शक्ति बनना है तो उसे यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना होगा, केवल “विश्वगुरु” कहने से कुछ नहीं होगा।
आर्थिक और नवाचार के क्षेत्र में तेज़ी लाने की जरूरत
राम माधव ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि तकनीक के साथ-साथ अर्थव्यवस्था भी किसी भी देश की ताकत का बड़ा आधार बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत को इनोवेशन, स्टार्टअप और उभरती टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में तेज़ गति से काम करना होगा, तभी वह वैश्विक ढांचे में एक निर्णायक भूमिका निभा सकेगा। उनका मानना है कि भारत को खुद को साबित करना होगा, भावनाओं की जगह अब व्यावहारिक रणनीति की ज़रूरत है।
फॉरच्यून 500 में भारतीय कंपनियां कम क्यों?
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए IIM लखनऊ के निदेशक प्रो. एम. पी. गुप्ता ने भी भारत की आर्थिक दिशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब दुनिया की प्रमुख कंपनियां नवाचार और तकनीक आधारित हो रही हैं, तो भारत की कंपनियों को भी इसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह चिंता भी जताई कि फॉरच्यून 500 में भारतीय कंपनियों की संख्या बहुत कम है, जो यह दर्शाता है कि हमें अपनी आर्थिक रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। समारोह में लखनऊ की बौद्धिक और प्रबुद्ध हस्तियों की व्यापक भागीदारी रही।