देशभर में मतदाता सूची (Voter List) में कथित गड़बड़ियों को लेकर विपक्षी दलों द्वारा लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बढ़ते राजनीतिक दबाव और भ्रम की स्थिति को देखते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) ने अब सभी जिला मजिस्ट्रेटों को सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है।
डीएम को मिली तत्काल स्पष्टीकरण देने की जिम्मेदारी
चुनाव आयोग (Election Commission) ने स्पष्ट किया है कि किसी भी जिले में मतदाता सूची से जुड़ी शिकायत या आरोप सामने आने पर संबंधित जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate), जो चुनाव प्रक्रिया के दौरान पदेन जिला निर्वाचन अधिकारी भी होते हैं, उन्हे तुरंत तथ्यात्मक जवाब देने होंगे। जनता के सामने सच्चाई लाना अब उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होगी।
सोशल मीडिया के ज़रिए जवाब देने की पहल
चुनाव आयोग के निर्देश के बाद अब तक करीब दर्जन भर जिलों के डीएम ने सोशल मीडिया पर सामने आकर आरोपों का जवाब दिया है। इन अधिकारियों ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी के आरोपों को तथ्यों के आधार पर खारिज करते हुए असली स्थिति स्पष्ट की है।
बाराबंकी का मामला
इस पहल की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से हुई, जहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुर्सी विधानसभा क्षेत्र में दो मतदाताओं के नाम गलत ढंग से हटाए जाने का आरोप लगाया था। जिले के डीएम ने सोशल मीडिया पर फैक्ट चेक के माध्यम से बताया कि दोनों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं।
अन्य जिलों के डीएम भी उतरे मैदान में
बाराबंकी के बाद जौनपुर, कासगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश), जयपुर (राजस्थान), नासिक (महाराष्ट्र) और नवादा (बिहार) के डीएम ने भी अपने-अपने जिलों में लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया दी। सभी ने दावा किया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप आधारहीन हैं और सटीक जांच के बाद सच सामने लाया गया है।
आयोग का फैक्ट चेक डिवीजन भी सक्रिय
चुनाव आयोग ने खुद भी फैक्ट चेक करते हुए इन आरोपों की सच्चाई उजागर की है। आयोग ने दोहराया है कि मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।
बिहार में शुरू हो चुका विशेष पुनरीक्षण अभियान
आयोग ने जानकारी दी कि बिहार में विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान शुरू कर दिया गया है और जल्द ही यह देशभर में लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सभी नागरिकों को शामिल होने और सूची में संशोधन कराने का अवसर मिलेगा।
राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील
आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे मतदाता सूची को लेकर बेवजह भ्रम फैलाने के बजाय प्रक्रिया में सहयोग करें। बिहार में ड्राफ्ट सूची जारी होने के बावजूद किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है, जो सकारात्मक संकेत माना जा सकता है।
निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
यह पूरी पहल चुनाव आयोग की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह हर स्तर पर पारदर्शिता और जनविश्वास बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है। आयोग का मानना है कि मतदाता सूची में पारदर्शिता लोकतंत्र की मूलभूत नींव है, और इसे किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।