‘हिंदू धर्म की महिलाएं देवी, और सब बेबी…’, स्वामी रामभद्राचार्य ने दिया विवादित बयान, मचा बवाल

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) स्थित विक्टोरिया पार्क में चल रही रामकथा के दौरान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य (Jagadguru Swami Ramabhadracharya) ने अपने बयान से नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने इस्लाम धर्म पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस्लाम में महिलाओं की स्थिति दयनीय है। उन्होंने कहा, एक-एक महिला से 25-25 बच्चे पैदा करना और फिर वृद्ध होने पर तीन बार ‘तलाक, तलाक, तलाक’ कहकर छोड़ देना, यह ‘यूज एंड थ्रो’ जैसी मानसिकता दर्शाता है। स्वामी का कहना था कि केवल हिंदू धर्म ही ऐसा है जहां महिलाओं को देवी का स्थान दिया जाता है, जबकि अन्य धर्मों में उन्हें केवल ‘बेबी’ या ‘बीवी’ समझा जाता है।

शिक्षा को लेकर कॉन्वेंट और मदरसों पर निशाना

स्वामी रामभद्राचार्य ने अभिभावकों को बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों और मदरसों में भेजने से मना किया। उन्होंने कहा, “बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़े। उन्हें सरस्वती विद्यालय में पढ़ाएं, जहां सनातन मूल्यों की शिक्षा मिले। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक संतान पैदा करना पाप की श्रेणी में आता है और इससे नरक की प्राप्ति होती है। उन्होंने संतुलित परिवार और संस्कारी बच्चों पर जोर दिया।

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पश्चिमी यूपी को ‘मिनी पाकिस्तान’ बताने पर भी विवाद

इससे पहले स्वामी रामभद्राचार्य ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिनी पाकिस्तान कहकर एक और विवादित टिप्पणी कर दी थी। उन्होंने कहा था, पश्चिमी यूपी में आकर ऐसा महसूस होता है जैसे हम भारत में नहीं, बल्कि पाकिस्तान में आ गए हैं। हिंदुओं को अब मुखर होना होगा, अब चुप रहने का समय नहीं रहा। हर घर में हिंदू धर्म की पाठशाला शुरू होनी चाहिए। इस बयान की राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी आलोचना हुई।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और आलोचना

समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने स्वामी के बयानों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ मुसलमानों का बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अपमान है। उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें समाज को बांटने वाली हैं और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का काम करती हैं।

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समाज में नफरत या संस्कृति? 

स्वामी रामभद्राचार्य के बयानों से जहां एक ओर कुछ लोग हिंदू सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोग इसे नफरत फैलाने वाला बयान मान रहे हैं। यह बहस अब एक बार फिर इस बात पर केंद्रित हो गई है कि धर्म और शिक्षा को लेकर दिए गए ऐसे बयान क्या देश की एकता और अखंडता के लिए सही हैं या नहीं।

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