UP: बिहार में भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार के गठन के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी संगठन और सरकार में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। इसके लिए तेज़तर्रार और प्रभावशाली नेता की तलाश की जा रही है, जिसमें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का नाम भी सामने आ रहा है।
यूपी भाजपा अध्यक्ष पद पर 11 महीने का इंतजार
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति 15 जनवरी 2025 को होने वाली थी। लेकिन महाराष्ट्र और यूपी में हुए चुनाव और फिर बिहार चुनाव की व्यस्तता के कारण यह मामला अटका रहा। पार्टी के लिए यह पद सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने बिना जल्दबाजी के इस निर्णय पर विचार किया। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद लखनऊ और दिल्ली में संगठन और सरकार में बदलाव की सक्रिय चर्चा शुरू हो गई है।
उप मुख्यमंत्री पदों में संभावित फेरबदल
वर्तमान में केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक उप मुख्यमंत्री हैं। यदि किसी उप मुख्यमंत्री को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो पद खाली हो सकता है। ऐसे में नए उप मुख्यमंत्री के रूप में ओबीसी या अन्य जाति के नेताओं के नाम पर विचार किया जा सकता है। भाजपा का मकसद जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना है। मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल और उप मुख्यमंत्री पदों पर चर्चा लगातार तेज़ हो रही है।
ओबीसी नेतृत्व का प्रमुख चेहरा केशव: प्रसाद मौर्य
पिछले लोकसभा चुनाव में PDA कार्ड ने विपक्ष को फायदा पहुंचाया था। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा के पास ओबीसी वर्ग के बड़े नेता के रूप में केशव प्रसाद मौर्य हैं। पार्टी अब उनके नेतृत्व का लाभ प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश कर रही है।
प्रदेश अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया
भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षक पीयूष गोयल जल्द ही लखनऊ आएंगे और प्रदेश परिषद के सदस्यों की बैठक लेंगे। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए शीर्ष नेतृत्व द्वारा चयनित कार्यकर्ता का नामांकन कराया जाएगा। इसके बाद एक ही नामांकन के साथ चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी और नवनिर्वाचित अध्यक्ष का नाम घोषित किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, पहले प्रदेश अध्यक्ष का चयन होगा और उसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। 2019 में भी इसी तरह पहले अध्यक्ष बनाए गए थे, फिर मंत्रिमंडल का गठन हुआ था।
बड़े नेताओं की भूमिका और नई दिशा
यूपी में संगठनात्मक फेरबदल के साथ भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं की भूमिका पुनर्निर्धारित की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, कुछ अनुभवी नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में नई जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं, जबकि कुछ को प्रदेश में संगठन मजबूत करने का काम सौंपा जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में भी कार्यभार और विभागों के पुनर्गठन की चर्चा जोरों पर है। यह कदम संगठन-सरकार में सामंजस्य बैठाने और नेतृत्व की नई पीढ़ी को तैयार करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी
भाजपा संगठन और सरकार की इस रणनीति का लक्ष्य 2027 के विधानसभा चुनाव में हैट्रिक जीत हासिल करना है। पार्टी पदाधिकारी यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि जातीय प्रतिनिधित्व, क्षेत्रीय संतुलन और संगठन-सरकार का समन्वय सही ढंग से हो।सामाजिक मीडिया और स्थानीय स्तर पर भविष्य के चुनावों को लेकर चर्चाएं और अटकलें तेज़ हो गई हैं। इससे जनता में राजनीतिक चेतना बढ़ रही है और हर कदम पर निगरानी बढ़ गई है।
















































