कफ सिरप कांड: शुभम जायसवाल के घर ED ने चस्पा किया नोटिस, धनंजय सिंह से नज़दीकियों के बाद अंडरवर्ल्ड में आलोक की पैठ गहरी

Varanasi Cough Syrup Case: नशीले कफ सिरप की तस्करी से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर जांच तेज कर दी। इसी क्रम में एजेंसी की टीम ने फरार चल रहे आरोपी शुभम जायसवाल (Shubham Jaiswal) के वाराणसी स्थित आवास पर नोटिस चस्पा कर कार्रवाई आगे बढ़ा दी है।

रियल एस्टेट में काली कमाई निवेश कराने का आरोप 

सूत्रों के अनुसार, शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह को दुबई की यात्रा कराने वाले जौनपुर के विकास सिंह विक्की पर आरोप है कि वह एक पूर्व ब्यूरोक्रेट की अवैध कमाई को रियल एस्टेट में निवेश करा रहा था। बताया जा रहा है कि विकास के जरिये लखनऊ के सुल्तानपुर रोड पर कई महंगे प्लॉट और संपत्तियां खरीदी गईं, जिनकी अब ईडी गहनता से जांच कर रही है।

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बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की गिरफ्तारी

इससे पहले, यूपी एसटीएफ ने मंगलवार सुबह प्लासियो मॉल, गोमतीनगर विस्तार के पास से मामले के अहम आरोपी और बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया। आलोक सिंह को पूर्व सांसद और पूर्वांचल के बाहुबली माने जाने वाले धनंजय सिंह का करीबी बताया जाता है। उसकी गिरफ्तारी से एसटीएफ को सिंडीकेट की बाकी परतें खोलने में मदद मिलने की उम्मीद है।

अंडरवर्ल्ड में बढ़ा प्रभाव और करोड़ों की संपत्ति

जांच एजेंसियों का कहना है कि धनंजय सिंह के नजदीक आने के बाद आलोक सिंह ने पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड में अपनी पकड़ मजबूत की। पुलिस विभाग से बर्खास्त होने के बावजूद उसने कथित तौर पर शराब, खनन और नशीले कफ सिरप के अवैध कारोबार में बड़ा हिस्सा जमा लिया। बताया जाता है कि लखनऊ के सुल्तानपुर रोड पर उसने करोड़ों रुपये की भव्य कोठी बनवाई है और कई लग्जरी वाहनों का मालिक है।

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कई एजेंसियों की रडार पर आया सिंडीकेट

सूत्रों के मुताबिक, आलोक सिंह की गिरफ्तारी के बाद एजेंसियां उसकी फर्मों की जांच में जुट गई हैं। एसटीएफ यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि उसकी विभिन्न फर्मों और कथित फर्जी कंपनियों के माध्यम से कितने करोड़ रुपये का नशीला कफ सिरप बेचा गया। जांच आगे बढ़ने के साथ सिंडीकेट के अन्य सदस्यों की तलाश भी तेज कर दी गई है।

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