उत्तर प्रदेश में बीजेपी निपटने के लिए समाजवादी पार्टी ने कमर कस ली है. समाजवादी पार्टी ने अपने उस वोट बैंक को अपने तरफ रिझाने की कोशिश करेगी जिसे बीजेपी ने 2014 में उससे छीन लिया था. इसके लिए समाजवादी पार्टी राजधानी में 18 नवंबर को लखनऊ में अति पिछड़ी जातियों की बैठक कर रही है. इस बैठक में यूपी के सभी जिलों के पिछड़ी जाति के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे.
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सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस सम्मलेन में सभी को भरोसा दिलाएंगे कि सपा केवल यादवों की पार्टी ही नहीं है, इसमें अति पिछड़ों को भी बराबर का हक और सम्मान मिलेगा. बैठक में शामिल नेताओं की जिम्मेदारी भी तय होगी. हर नेता को अपने-अपने इलाकों में जनसंपर्क अभियान चलाकर अपने लोगों को पार्टी से जोड़ेंगे. यानी ये नेता ‘अपनों’ को सपा की नीतियों और कार्यों के बारें में बताएंगे कि सपा ही ‘अपना’ ध्यान रखती है, इसलिए मतदान के समय ‘अपनापन’ दिखाना होगा.
बता दें यूपी में 2014 लोकसभा चुनाव से पहले गैर-यादव पिछड़ो में कुर्मी, सैनी, मौर्या, कुशवाहा, निषाद, कश्यप, प्रजापति, राजभर, लोध और विश्वकर्मा समेत एक दर्जन से अधिक जातियां सपा का वोट बैंक हुआ करती थीं लेकिन बीजेपी संगठन महामंत्री सुनील बंसल की रणनीति और उस समय के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व के कारण ये उपरोक्त सभी जातियां बीजेपी के पाले में चली गयीं थी जिन्हें अब फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश में लग गयी है.
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