Video: अलीगढ़ के प्राइमरी स्कूल में टीचर हसमुद्दीन ने भारत माता पर पुष्प अर्पित करने से किया इंकार, मजहब का दे रहा था हवाला

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (Aligarh) जनपद में एक प्राइमरी स्कूल के मुस्लिम शिक्षक ने गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत माता पर पुष्प चढ़ाने से इंकार कर दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। शिक्षक की पहचान हसमुद्दीन (Muslim Teacher Hasmuddin) के तौर पर हुई है। शुरुआत में बीमारी और मजहब का हवाला देकर उसने इंकार किया, लेकिन दबाव पड़ने पर शिक्षक मान गया। प्राइमरी स्कूल इगलास थाना क्षेत्र के लखटोई गांव में स्थित है।

बीमारी का बनाने लगा बहाना

वीडियो में देखा जा सकता है कि शिक्षक हसमुद्दीन बैठा है और कुछ लोग उसे पुष्प चढ़ाने के लिए कह रहे हैं। शुरुआत में हसमुद्दीन बीमारी का बहाना बनाता है और बाद में अपने मजहब का हवाला देते हुए कहता है कि हम सिर्फ ऊपर वाले के सामने मत्था टेकते हैं। इस दौरान साथी शिक्षक उसे समझाते हुए कहते हैं कि यह बात ठीक नहीं है। हम लोग भी मुस्लिमों के कार्यक्रम में जाते हैं। हम भी वहां मत्था टेकते हैं।

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इस पर हसमुद्दीन कहता है कि हमारे मजहब में यह नहीं सिखाते। हम किसी के सामने मत्था नहीं टेकते। हम सिर्फ ऊपर वाले के सामने मत्था टेकते हैं। इसके बाद वहां मौजूद लोग हसमुद्दीन से कहते हैं कि यह तो संविधान के अनुसार है। जब आप यहां आए हो तो भारत माता पर पुष्प चढ़ा दो। इसके बाद हसमुद्दीन फूल चढ़ाने जाता है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बोले- कराई जा रही जांच

वहीं, मामले में स्कूल के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार ने बताया कि ध्वजारोहण के समय भी हसमुद्दीन एक तरफ बैठा हुआ था। कुछ लोगों ने उससे फूल चढ़ाने को कहा तो उसने पेट में दर्द होने की बात कह इनकार कर दिया। बाद में काफी समझाने पर उसने फूल चढ़ाए। वहीं, वीडियो वायरल होने पर पुलिस और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी मामले में जांच की बात कह रहे हैं।

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जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सतेन्द्र कुमार का कहना है कि वायरल वीडियो के संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी को सूचित किया गया है। जानकारी मिली है कि हसमुद्दीन नाम के शिक्षक ने राष्ट्रगान गान गाने, सरस्वती प्रतिमा और भारत की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने करने से मना किया है। इसकी जाँच की जा रही है। अगर मामले में सच्चाई मिलती है तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षक हसमुद्दीन ने मामले में दी सफाई

वहीं, इस मामले में शिक्षक हसमुद्दीन ने सफाई देते हुए कहा कि मेरी तबियत खराब थी। मैं तीन दिन से बीमार था और मेरे नाक से खून आ रहा था। इसलिए मैं दवाई खाकर वहां बैठा था। मेरे पेट में दर्द हो रहा था। इसलिए जब मास्टर साहब वहां आए तो मैंने कहा कि मेरे पेट में दर्द है। वहीं, मजहब के सवाल पर हसमुद्दीन ने कहा कि जब कुछ लोग घेर लेते हैं तो दबाव आ जाता है और कुछ ऐसा कहना पड़ जाता है।। उसने कहा कि मुझे मां सरस्वती की प्रतिमा में फूल चढ़ाने में कोई हर्ज नहीं है और मैं बाद में भी ऐसा कर सकता हूं।

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