संसद के मानसून सत्र में बुधवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश करने जा रहे हैं, जिनमें एक ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक भी शामिल है। इस विधेयक में ऐसा प्रावधान है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर अपराध में लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद छोड़ना होगा।

किन विधेयकों को लोकसभा में लाया जा रहा है?
सरकार जिन तीन विधेयकों को लोकसभा में पेश करने जा रही है, वे हैं:
- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक
- केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक
इनमें सबसे ज्यादा चर्चा संविधान संशोधन विधेयक को लेकर हो रही है, जिसे बाद में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने पर भी विचार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री तक सभी होंगे शामिल
संविधान संशोधन विधेयक में धारा 75 में नया क्लॉज़ 5(ए) जोड़ा जाएगा। इसके तहत यदि कोई मंत्री 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहता है और उस पर 5 साल या उससे अधिक की सजा का आरोप हो, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन उसे पद से हटा देंगे। अगर प्रधानमंत्री सलाह नहीं देते, तो भी मंत्री स्वतः पद से मुक्त हो जाएगा।
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प्रधानमंत्री के लिए नियम सख्त
प्रधानमंत्री के लिए नियम और भी सख्त होंगे। यदि वह 30 दिन की हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा, वरना वह अपने आप पद से हट जाएंगे। हालांकि, रिहाई के बाद पुनर्नियुक्ति की संभावना बनी रहेगी। यह प्रावधान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर भी लागू होगा।
किन अनुच्छेदों में होगा बदलाव?
इस बिल के तहत संविधान के तीन मुख्य अनुच्छेदों में संशोधन प्रस्तावित है:
- अनुच्छेद 75: प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से जुड़ा
- अनुच्छेद 164: राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों से संबंधित
- अनुच्छेद 239AA: दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के संदर्भ में
सरकार का मकसद
सरकार का तर्क है कि वर्तमान संविधान में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो किसी मंत्री या प्रधानमंत्री को गंभीर आरोपों में गिरफ्तारी के बाद हटाए जाने की प्रक्रिया तय करता हो।
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इस बिल के पीछे सरकार की मंशा:
- जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का चरित्र संदेह से परे होना चाहिए।
- संवैधानिक नैतिकता और सुशासन की रक्षा जरूरी है।
- लंबे समय तक जेल में रहने वाले व्यक्ति का पद पर बने रहना जनविश्वास को चोट पहुंचाता है।
विपक्ष का विरोध
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे ‘विपक्ष को अस्थिर करने की साजिश’ करार दिया है। उनका कहना है कि,’बिना स्पष्ट दिशानिर्देशों के विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां की जा रही हैं। इस कानून से सत्ता पक्ष विपक्षी नेताओं को केवल गिरफ्तारी के ज़रिए हटवा सकता है, जबकि अपने नेताओं को नहीं छूता।’
हाल की घटनाएं बनीं आधार
हाल के वर्षों में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के दौरान वे अपने पदों पर बने रहे। इन घटनाओं को लेकर विपक्ष ने पहले भी राजनीतिक बदले की कार्रवाई का आरोप लगाया था।
अब इस नए संशोधन प्रस्ताव के चलते संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव और तेज हो गया है।





















































