सुशील मोदी बोले- समलैंगिकता पर फैसला सुनाने के लिए कोर्ट के पास समय, लेकिन राम मंदिर के लिए नहीं

2019 लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर बयानबाजी तेज हो गयी है. हर कोई नफा- नुकसान तौल कर अपनी सहूलियत के हिसाब से इस मुद्दे पर बात रख रहा है. ताजा बयान बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी का आ रहा है. सुशील मोदी ने अयोध्या में विवादित स्थान पर जनवरी तक सुनवाई टाले जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है.

 

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सुशील मोदी ने कहा कि मस्जिद कहीं भी बन सकता है, लेकिन राम मंदिर अयोध्या में ही बनेगा. कोर्ट पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि समलैंगिकता और अर्बन नक्सल पर सुप्रीम कोर्ट फैसला दे सकती है तो राम मंदिर पर क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि हम राम मंदिर को छोड़ नहीं सकते हैं, केंद्र सरकार भव्य राम मंदिर के पक्ष में है.

 

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सुशील मोदी ने कहा कि 2010 में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था. साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश दुर्भाग्यपूर्ण है. अदालतों ने राम मंदिर को लटकाकर रखने का उन्होंने आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का मामला जब आता है तो कोर्ट के पास समय नहीं होता है.

 

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बता दें इससे पहले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह  इस मुद्दे पर कहा था कि  देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोगों की आस्था प्रभु श्रीराम से जुड़ी हुई है. लोगों की उम्मीदों पर ठंडा पानी उड़ेल दिया गया, जिसकी वजह से उनमें नाराजगी और असंतोष व्याप्त है लेकिन जल्द ही मंदिर निर्माण की दिशा में रास्ता निकाला जाएगा. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है. आरएसएस भी इस मुद्दे को लेकर तेज हो गयी है. हाल ही में उसने मंदिर निर्माण को लेकर 1992 जैसे आन्दोलन की बात भी कही थी.

 

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