कांग्रेसी (Congress) नेता जगन्नाथ मिश्र (Jagannath Mishra) का जन्म 24 जून 1937 को सुपौल के बलुआ बाजार गांव में एक मैथिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित रविनंदन मिश्र जमींदार थे और ज्यादातर समय सामाजिक कार्यों और स्वतंत्रता संग्राम में व्यस्त रहते थे। पांच भाइयों में सबसे छोटे जगन्नाथ मिश्र पहले एक इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर थे, लेकिन राजनीति में आने के बाद उन्होंने धर्म और कर्मकांड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।
पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में गहरी आस्था

जगन्नाथ मिश्र की आस्था इतनी गहरी थी कि वे दिनभर पूजा और अनुष्ठान में लगे रहते थे। घर में नियमित अनुष्ठान करवाते और दोनों हाथों की 10 उंगलियों में से 6 में अंगूठियां पहने रहते थे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने घर और कार्यालय को गुलाबी रंग से सजवाया था, जो उनकी धार्मिक प्राथमिकताओं का प्रतीक था।
108 बकरों की बलि

सितंबर 1982 में बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर एक विवादित अनुष्ठान की खबर सामने आई। मीडिया रेपोर्ट्स में दावा किया कि मुख्यमंत्री ने तांत्रिकों की सलाह पर 108 बकरों की बलि दी और उनके खून से स्नान किया ताकि सत्ता सुरक्षित रहे। जब पत्रकारों ने इस पर सवाल किया, तो जगन्नाथ मिश्र नाराज होकर जवाब दिया कि ‘ये सब बातें फरेब हैं।’
कवि और समाज का मजाकिया प्रतिक्रिया

इस खबर पर कवि सर्वेश्वर दयाल ने अपनी मैगजीन दिनमान में एक व्यंग्य प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था ‘अखिल भारतीय बकरा यूनियन’। उन्होंने लिखा कि इस खबर के बाद बकरों में खलबली मच गई और उन्होंने अपने सुरक्षा के लिए यूनियन बना ली। यह व्यंग्य जगन्नाथ मिश्र की धार्मिक आस्थाओं और उनके ऊपर फैल रही अफवाहों का मजाक उड़ाने का तरीका था।



















































