उत्तर प्रदेश विधान परिषद के शून्य काल के दौरान जिला निगरानी समितियों की अनियमित बैठकों का विषय सदन में प्रमुखता से उठाया गया। व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा गया कि जिला स्तर पर गठित इन समितियों की बैठकें नियमित रूप से नहीं हो पा रही हैं, जिससे योजनाओं की प्रभावी निगरानी पर असर पड़ रहा है।
योजनाओं की समीक्षा प्रभावित
दिशा बैठकों की तर्ज पर राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा के लिए जिला निगरानी समितियों का गठन किया गया है। हालांकि कुछ जिलों में इन समितियों की बैठकें आयोजित की गई हैं, लेकिन अधिकांश जनपदों में अब तक बैठकें नियमित नहीं हो सकी हैं। इससे विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा बाधित हो रही है।
सरकार से नियमित बैठक की मांग
सदन में यह मांग रखी गई कि जिला निगरानी समितियों की बैठकें तय समय पर और नियमित रूप से कराई जाएं, ताकि योजनाओं की जमीनी स्तर पर निगरानी सुनिश्चित हो सके। वक्ताओं ने कहा कि नियमित बैठकें न होने से प्रशासनिक जवाबदेही भी कमजोर पड़ रही है।
नेता सदन का आश्वासन
सभापति द्वारा व्यवस्था दिए जाने के बाद नेता सदन ने इस मुद्दे पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए भरोसा दिलाया कि आवश्यक कदम उठाए जाएंगे और जिला निगरानी समितियों की बैठकें नियमित कराई जाएंगी। यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने सदन में उठाया था।











































