कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अगुवाई में फ्रांस के विरोध में रैली, झंडा जलाया, लगाए जहरीले नारे

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के बयान को लेकर दुनिया भर के मुस्लिमों का विरोध देखने को मिल रहा है। वहीं, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में कोरोना वायरस की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद (Congress MLA Arif Masood) की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसे प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराजगी जताई है।


सीएम शिवराज बोले- दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

उन्होंने ट्वीट करके कहा कि मध्यप्रदेश शांति का टापू है। इसकी शांति को भंग करने वालों से हम पूरी सख्ती से निपटेंगे। इस मामले में 188 आईपीसी के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वो चाहे कोई भी हो। वहीं, डीआईजी इरशाद वली ने बताया कि विरोध प्रदर्शन और भीड़ इकट्ठा करने वाले विधायक आरिफ मसूद समेत 400 लोगों को कार्रवाई की गई है। इसमें शामिल और लोगों की पहचान की जा रही है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।


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दरअसल, गुरुवार को भोपाल के इकबाल मैदान में विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत में रह रहे मुस्लिमों को आहत किया है, इसलिए भारत के प्रधानमंत्री को या निर्णय लेना चाहिए कि फ्रांस से अब हमें आयात-निर्यात बंद कर दिया जाए।


इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस का झंडा जलाया और फ्रांस के विरोध में जमकर नारेबाजी भी की गई। इस प्रदर्शन में लोगों ने फ्रांस के राष्ट्रपति से माफी मांगने की अपील की। बता दें कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने पैगंबर हजरत मोहम्मद का कार्टून को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी, जिसके बाद से ही विश्वभर के मुस्लिम समुदाय में आक्रोश है।


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मुस्लिम इसलिए कर रहे फ्रांस के राष्ट्रपति का विरोध

गौरतलब है कि यह विवाद तब शुरू हुआ, जब 16 अक्टूबर को फ्रांस में सैमुअल बैटी नाम के एक टीचर की स्कूल के पास ही गला काटकर हत्या कर दी गई। सैमुअल पैटी ने अपने स्टूडेंट्स को पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए थे। सैमुअल पैटी की हत्या से फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों बेहद नाराज हुए और उन्होंने पैटी के प्रति सम्मान जाहिर किया।


इसके बाद पैटी को मरणोपरांत फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया और इस समारोह में खुद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों शामिल हुए। उन्होंने इसे इस्लामिक आतंकवाद करार दिया था। कई इस्लामिक देशों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने पैगंबर का अपमान करने वाले को सम्मानित किए जाने की निंदा की।


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