PF Scam मामले में एक्शन में श्रीकांत शर्मा, सीएम योगी को लिखा खत, कई आला अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (UP Power Corporation, UPPCL) में पीएफ घोटाले (PF Scam) मामले में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा (Shrikant Sharma) किसी भी आरोपी को बख्शने के मूड़ में नहीं दिख रहे हैं. शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे मामले में कॉर्पोरेशन के शीर्ष प्रबंधन यानी चेयरमैन की भूमिका को संदेहास्पद माना है और जांच कराने का अनुरोध किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि कई आला अधिकारियों पर गाज गिरना तय है क्योकि इतना बड़ा घोटाला केवल तीन लोगों का काम नहीं हो सकता आला अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं.


सूत्रों की मानें तो पॉवर कॉरपोरेशन की एमडी अपर्णा यू के ट्रांसफर के बाद प्रमुख सचिव ऊर्जा व यूपीपीसीएल के चेयरमैन आलोक कुमार को भी हटाया जा सकता है. आलोक कुमार आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि मुख्यमंत्री इस मामले में सरकार की फजीहत से नाराज है. प्रमुख सचिव आबकारी संजय भुसरेड्डी को नये प्रमुख सचिव ऊर्जा की जिम्मेदारी मिल सकती है.


श्रीकांत शर्मा के पत्र के बाद अब यह माना जा रहा है कि पूर्व एमडी एपी मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद कई और अफसरों पर जांच की आंच पहुंच सकती है. जानकारी के मुताबिक इस पूरे प्रकरण में उच्च अधिकारियों की भूमिका को लेकर नाराजगी जताई है. अपने पत्र में उन्होंने विभाग की हो रही किरकिरी को लेकर अधिकारियों की जवाबदेही तय करने व उच्चस्तरीय जांच करने का अनुरोध किया है. वह पूरे मामले में विभागीय अफसरों की भूमिका को लेकर नाराज हैं। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट ने कर्मचारियों के जीपीएफ व सीपीएफ की भारी-भरकम राशि नियम विरुद्ध डीएचएफएल में निवेश की.


जानकारी के मुताबिक इस प्रकरण में कॉर्पोरेशन के शीर्ष प्रबंधन की ओर से ऊर्जा मंत्री को कोई जानकारी नहीं दी गई. यही नहीं, जब 10 अक्तूबर, 2019 को मिले एक गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर शीर्ष प्रबंधन ने मामले की आंतरिक जांच शुरू की तो उस विषय में भी उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई. जबकि हजारों कार्मिकों के हितों से जुड़े इस विषय के बारे में उन्हें अवगत कराना शीर्ष प्रबंधन का दायित्व था.


श्रीकांत ने पत्र में लिखा है कि इस दायित्व से विमुखता के क्या कारण थे? किन कारणों से ट्रस्ट की हर तिमाही होने वाली बैठकों को लगातार टाला गया? गिरफ्तार लोगों में से एक तत्कालीन निदेशक (वित्त) द्वारा 29 जून, 2019 को सेवानिवृत्ति के बाद भी निवेश संबंधी अनियमितता से शीर्ष प्रबंधन कैसे अनभिज्ञ रहा? मामले की उच्चस्तरीय जांच के क्रम में इन सवालों का उत्तर मिलना आवश्यक है.


बता दें कि इस पूरे मामले में पीएफ घोटाले के आरोपियों यूपीपीएसएल पूर्व निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी, महाप्रबंधक लेखा एवं इम्प्लाइज ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और पूर्व प्रबंध निदेशक अयोध्या प्रसाद मिश्रा को 3 दिन के लिए पुलिस रिमांड पर दिए जाने का आदेश ईओडब्ल्यू के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट क्षितीश पांडेय ने दिया है.


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