Chhath Puja 2025: लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा इस वर्ष भी पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व सूर्य उपासना और पवित्रता का प्रतीक है, जिसकी शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है और समापन ‘ऊषा अर्घ्य’ के साथ होता है। आइए जानते हैं छठ पर्व के चारों दिनों का धार्मिक महत्व और विधि।

नहाय खाय

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। वर्ष 2025 में सूर्योदय 6:28 बजे और सूर्यास्त 5:42 बजे होगा
खरना

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना या लोहंडा कहलाता है। इस दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को गुड़ की खीर और घी की रोटी प्रसाद के रूप में बनाकर सूर्यदेव की पूजा के बाद ग्रहण की जाती है। इसके बाद अगले दिन अर्घ्य तक अन्न-जल का त्याग किया जाता है।
संध्या अर्घ्य

छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य कहलाता है। इस दिन व्रती निर्जला व्रत रखकर शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। वर्ष 2025 में सूर्यास्त 5:40 बजे होगा।
ऊषा अर्घ्य

छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन ऊषा अर्घ्य कहलाता है। इस दिन व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे का व्रत प्रसाद और जल ग्रहण कर पारण के साथ पूरा करती हैं। वर्ष 2025 में सूर्योदय 6:30 बजे होगा।
छठ पूजा का आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश
छठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति, जल और सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। यह व्रत नारी शक्ति, आत्मसंयम और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक भी है। छठ पूजा में प्लास्टिक या रासायनिक पदार्थों का उपयोग वर्जित होता है, जिससे यह पर्व पर्यावरण-मित्र (eco-friendly) भी माना जाता है। इसके साथ ही यह त्योहार परिवार और समाज को जोड़ने वाला अवसर भी बन जाता है, जहां सभी जाति-धर्म के लोग मिलकर श्रद्धा और भक्ति से भाग लेते हैं।

















































