‘स्कूलों के मर्जर आदेश को रिकार्ड में लाए सरकार…’, हाईकोर्ट का सख्त आदेश, 1 सितंबर को अगली सुनवाई

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के मर्जर मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को बड़ा निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने सीतापुर में स्कूल मर्जर पर 24 जुलाई को लगाई गई रोक को बरकरार रखते हुए, सरकार से मर्जर आदेश को रिकॉर्ड में लाने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।

याचिकाकर्ताओं की दलील

सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया कि स्कूल मर्जर के बाद बच्चों को 3-5 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जिससे उनकी सुरक्षा और शिक्षा दोनों प्रभावित होंगी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है, जिसके अनुसार 6-14 साल के बच्चों के लिए तय दूरी में स्कूल होना जरूरी है।

सरकार की सफाई

राज्य सरकार ने कोर्ट में सफाई देते हुए कहा कि जिन स्कूलों के बीच की दूरी 1 किलोमीटर से कम है, वहीं पेयरिंग होगी। साथ ही, जिन स्कूलों में 50 से अधिक विद्यार्थी हैं, उन्हें मर्जर से बाहर रखा जाएगा।

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सरकार का तर्क

सरकार का तर्क है कि कई स्कूलों में नामांकन बहुत कम है और शिक्षक अनुपात भी असंतुलित है। मर्जर के बाद छात्रों को बेहतर आधारभूत सुविधाएं और शिक्षण संसाधन मिलेंगे।

 डबल बेंच में याचिका पर नया मोड़

मामला पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में गया था, जहाँ 7 जुलाई को कोर्ट ने सरकार के फैसले को बच्चों के हित में बताया और याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि नीतिगत फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक वे असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हों। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने डबल बेंच में अपील दायर की। 22 जुलाई को बहस पूरी हुई और 24 जुलाई को कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर सीतापुर में स्कूल मर्जर पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।

सरकारी आदेश

16 जून 2025 को बेसिक शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों को पास के उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूल में मर्ज किया जाएगा। शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने बीएसए से ऐसे स्कूलों का विवरण भी मांगा।शर्तें ये भी रखी गईं कि मर्ज किए जाने वाले स्कूलों के रास्ते में कोई प्राकृतिक या कृत्रिम बाधा (जैसे नदी, हाईवे, रेलवे ट्रैक) नहीं होनी चाहिए।

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सरकार की योजना

सरकार ने बताया कि वह हर जिले में मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय (कक्षा 1 से 8) खोल रही है, जिसमें स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय, मिड-डे मील किचन, सीसीटीवी, ओपन जिम, और वाई-फाई जैसी सुविधाएं होंगी। प्रत्येक विद्यालय पर 1.42 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।साथ ही, मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट स्कूल (कक्षा 1 से 12) भी हर जिले में खोले जाएंगे, जिन पर 30 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इनमें 1500 छात्रों के लिए स्मार्ट सुविधाएं और साइंस लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, खेल मैदान, और कौशल विकास केंद्र होंगे।

टाइमलाइन: कब क्या हुआ?

  • 16 जून 2025: यूपी सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के मर्जर का आदेश जारी किया।
  • 1 जुलाई 2025: सीतापुर की कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
  • 2 जुलाई 2025: एक और याचिका दाखिल की गई, जिसमें RTE उल्लंघन का आरोप लगाया गया।
  • 3-4 जुलाई 2025: सिंगल बेंच में बहस हुई, 4 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा गया।
  • 7 जुलाई 2025: सिंगल बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया, याचिका खारिज।
  • 22 जुलाई 2025: डबल बेंच में बहस पूरी हुई।
  • 24 जुलाई 2025: डबल बेंच ने सीतापुर में स्कूल मर्जर पर रोक लगाते हुए यथास्थिति का आदेश दिया।
  • 21 अगस्त 2025: सरकार और डीएम को रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी थी।
  • 1 सितंबर 2025: अगली सुनवाई की तारीख तय।

अगली सुनवाई पर टिकी निगाहें

यूपी सरकार का स्कूल मर्जर प्लान एक ओर जहां शिक्षा के गुणवत्ता सुधार की दिशा में कदम बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़े सामाजिक और कानूनी मुद्दे विवाद का कारण बन गए हैं। अब सबकी निगाहें 1 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां कोर्ट इस संवेदनशील मामले पर और स्पष्ट रुख अपनाएगा।

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