परंपरा का हवाला देकर नदियों में शव का जल प्रवाह करना भारी पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) ने नदियों में शवों को बहाए जाने पर रोक लगाने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन बल (SDRF) तथा पीएसी की जल पुलिस (Water Police) को प्रदेश की सभी नदियों में गश्त के लिए लगाया है। यह पुलिस बल नौकाओं के जरिये पूरे प्रदेश की नदियों में गश्त करेंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नदी में शव प्रवाहित न करे।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि हाल के दिनों में पंचक काल के कारण नदियों में शव प्रवाहित होने की जानकारी मिली है। इसके अलावा, कुछ लोग अंतिम संस्कार के लिए जल प्रवाह का माध्यम अपनाते हैं। मृत जानवरों के शव भी नदियों में देखे गए हैं। ऐसी गतिविधियां न केवल नदियों को प्रदूषित करने का कारक है, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि इन गतिविधियों की निगरानी के लिए पीएसी की जल पुलिस और एसडीआरएफ की टीम लगातार गश्त करे। इसके अलावा, नदियों के किनारे स्थित सभी गांवों तथा कस्बों में संबंधित ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान तथा शहरों में कार्यकारी अधिकारी और नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर निगमों के अध्यक्षों के माध्यम से समितियां बनाकर यह सुनिश्चित करें कि उनके क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति परंपरा के नाते नदियों में शव प्रवाहित न करे। यदि जरूरी हो तो स्थानीय स्तर पर नदियों में शव बहाने वालों के खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी की धार्मिक परंपराओं का सम्मान करती है। मृतकों की सम्मानजनक अंत्येष्टि के लिए धनराशि स्वीकृत की गई है और लावारिस शव के मामले में भी सम्मानजनक तरीके से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार कराया जाए। किसी भी दशा में धार्मिक परंपरा के नाते शव को नदी में न बहाने दिया जाए।
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सीएम योगी ने कहा कि शव या मृत जानवरों के कंकाल बहाने से नदी प्रदूषित होती है। केंद्र व राज्य सरकार नदियों को साफ करने के लिए राष्ट्रीय अभियान चला रही हैं। नदियों को अविरल और निर्मल रखने में सभी के सहयोग की आवश्यक्ता है। उन्होंने इस संबंध में गृह विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर विकास विभाग, पर्यावरण विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को मिलकर ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि कोई शव नदी में प्रवाहित न किया जा सके।
स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी, विधिपूर्वक निःशुल्क कराएं अंत्येष्टि
कोविड संक्रमित हर एक मृत्यु को लेकर योगी सरकार खासी संवेदनशील है। एक ओर जहां कोविड अस्पतालों को निर्देश है कि कोविड संक्रमित मरीज की मृत्यु की जानकारी इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर को दी जाए, ताकि मरीज के परिजन को जरूरत के अनुसार शव वाहन उपलब्ध कराए जा सकें, वहीं, स्थानीय निकायों को मृतक की धार्मिक परंपरा के अनुरूप अंत्येष्टि कराने के भी निर्देश हैं।
यदि किसी परिजन के पास वित्तीय समस्या है अथवा मृतक के परिजनों की जानकारी नहीं हो, तो भी स्थानीय निकाय (नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम तथा ग्राम पंचायत) द्वारा विधिपूर्वक अंत्येष्टि कराई जाएगी। इसके लिए निकायों को प्रति अंतिम संस्कार ₹5,000 की राशि भी स्वीकृत की गई है। कोविड प्रबंधन में सेक्टर प्रणाली लागू करते समय ही सेक्टर मैजिस्ट्रेट को यह जिम्मेदारी दी गई है कि दुःखद घड़ी में मृतक के परिजनों को त्वरित सहायता दिलाने के लिए सभी यथासंभव मदद उपलब्ध कराई जाए। यही नहीं, अंतिम संस्कार की क्रिया के लिए किसी प्रकार का शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा।
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