वाराणसी (Varanasi) की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को लेकर सिविज जज के समक्ष एक और याचिका दायर की गई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के नाम से यह याचिका दायर की गई है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी. याचिका में मस्जिद में मुस्लिमों की एंट्री पर बैन लगाने और शिवलिंग वाले स्थान को हिंदुओं के हवाले करने की मांग रखी गई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर इस पर सुनवाई करेंगे. बता दें, अब तक यह केस सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के पास था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को ट्रांसफर कर दिया है. रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने ही ज्ञानवापी में सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश दिया था.
मंगलवार को दायर इस वाद को स्वीकार करते हुए सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने 25 मई की तारीख नियत की है. विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरण सिंह ने यह मुकदमा दायर किया है. अदालत में अधिवक्ता मानबहादुर सिंह व अनुष्का त्रिपाठी की तरफ से कहा गया कि शिवलिंग पाए जाने के दावे के बाद दर्शन पूजन, राग भोग पूजा का अधिकार आवश्यक है.
हिंदू पक्ष की हैं 3 मांगे
जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि अदालत ने हमारा वाद स्वीकार कर लिया है. हमारे वाद पर विपक्षियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. उन्होंने बताया कि भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मुकदमे के माध्यम से तीन मांग की गई है.
1- पूरे रकबा संख्या 9130 में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगे
2- पूरा 9130 रकबा संख्या हिन्दू को सौंपा जाए
3- आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का अधिकार मिले
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में सबसे पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई होगी. यह आदेश जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को दिया. इसके लिए उन्होंने 26 मई की तारीख तय की है. साथ ही एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट की प्रति मंदिर और मस्जिद पक्ष को देने आदेश दिया है, इस पर आपत्ति के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. इस मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए हिदू सेना ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है.
जिला जज ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा था. ऐसे में आवश्यक है कि प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के प्रार्थना पत्र का पहले निस्तारण किया जाए. इसके बाद अन्य प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई होगी. इससे पहले सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने 19 मई 2022 को कमीशन रिपोर्ट पर पक्षकारों से आपत्तियां आमंत्रित की थीं. उक्त आदेश वर्तमान में प्रभावी है. दोनों पक्ष सात दिन में आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं.
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