‘हिंडनबर्ग के आरोपों में दम नहीं…’, सेबी ने अदाणी ग्रुप को दी क्लीन चिट

भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने अदाणी समूह (Adani Group) को उस मामले में बड़ी राहत दी है, जिसमें अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने उन पर स्टॉक हेरफेर, इनसाइडर ट्रेडिंग और फंड के गलत इस्तेमाल जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। सेबी ने कहा है कि उसकी विस्तृत जांच में कोई भी उल्लंघन, अनियमितता या धोखाधड़ी साबित नहीं हुई है। इसके साथ ही सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ सभी कार्यवाही को बंद कर दिया है।

नहीं हुआ कोई नियमों का उल्लंघन: सेबी

सेबी ने दो अलग-अलग आदेशों में यह स्पष्ट किया कि अदाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों में कोई भी ऐसा तत्व नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने किसी भी तरह से बाज़ार की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाया हो। नियामक ने यह भी बताया कि आरोपों में जिन लेनदेन की बात की गई थी, वे उस समय ‘संबंधित पक्ष’ की परिभाषा में नहीं आते थे क्योंकि यह परिभाषा 2021 में संशोधित की गई थी। साथ ही, सेबी ने यह भी कहा कि जितना भी ऋण लिया गया था, वह ब्याज सहित चुका दिया गया और किसी तरह की गड़बड़ी की पुष्टि नहीं हुई।

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क्या थे हिंडनबर्ग के आरोप? अडानी ग्रुप ने तीन कंपनियों एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि Adicorp Enterprises का इस्तेमाल करके अडानी समूह ने अपने सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों को अवैध रूप से फंड ट्रांसफर किए। आरोप था कि अडानी समूह की 3 कंपनियों एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स ,रेहवर स्ट्रक्चर ने 2020 में एडिकॉर्प को करीब 6.2 बिलियन रुपये का अनसिक्योर लोन दिया और इस रकम का इस्तेमाल अडानी पावर को बिना खुलासा किए फंडिंग में किया गया। साथ ही, हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया था कि इन लेनदेन का खुलासा फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में नहीं किया गया, जिससे निवेशकों को गुमराह किया गया।

2023 में शुरू हुआ विवाद

यह पूरा मामला जनवरी 2023 में तब शुरू हुआ जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेल कंपनियों का उपयोग करके शेयरों की कीमतें बढ़ाने, ऑडिट फ्रॉड करने और फंड्स की गलत आवाजाही का आरोप लगाया। यह रिपोर्ट उस वक्त आई थी जब अडानी एंटरप्राइजेज अपने 20,000 करोड़ रुपये के FPO की तैयारी कर रही थी। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई और निवेशकों का भरोसा हिल गया। हालांकि, समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये गलत, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण हैं।

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मॉरीशस स्थित फंड्स पर भी लगाए थे सवाल

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कई मॉरीशस स्थित निवेश फंड्स जैसे APMS Investment Fund, Cresta Fund, Elara India Opportunities Fund, और Albula Investment Fund का नाम लिया था। आरोप था कि इन फंड्स ने अपनी 90-100% संपत्ति अडानी समूह की कंपनियों में निवेश कर रखी है और संभवतः वे समूह के हितधारकों के लिए ही काम कर रहे हैं। हालांकि, सेबी की जांच में इन फंड्स के लेनदेन में भी कोई अनियमितता सामने नहीं आई।

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