लखनऊ: पानी से नकली खून बनाने का धंधा, मास्टरमाइंड नसीम गिरफ्तार, पूरे यूपी में जांच करेगी STF

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नकली खून के कारोबार ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है. हर में पिछले छह महीने से सेलाइन वॉटर (खारा पानी) से तैयार होने वाले खून का काला कारोबार चल रहा था. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने पिछले दिनों राजधानी लखनऊ में चल रहे खून के काले कारोबार का भंडाफोड़ करते हुए 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. पूछताछ में पता चला कि आरोपी अबतक एक हजार से ज्यादा मरीजों को यह खून बेच चुके हैं.

 

कई बल्ड बैंक और पैथॉलजी भी शामिल 

इसमें सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि कमाई के चक्कर में मरीजों की जिंदगी से होने वाले खेल में शहर के कई बड़े ब्लड बैंक और पैथॉलजी के कर्मचारी भी शामिल हैं.  महत्वपूर्ण सुराग मिलने के बाद एसटीएफ ने एफएसडीए के साथ ब्लड बैंकों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. बीएनके, मेडिसिन ब्लड बैंक और सरकार डायग्नोस्टिक सेंटर के लेजर सीज कर छानबीन की जा रही है.

 

STF की गिरफ्त में मास्टरमाइंड
इस मामले पर एसएसपी एसटीएफ अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि करीब दो महीने पहले शहर में हो रहे खून के काले कारोबार की जानकारी मिली थी. इसके बाद खून बेचने वाले कई नशेड़ियों को पकड़कर पूछताछ की तो पता चला कि त्रिवेणीनगर के एक मकान में खून का कारोबार चल रहा है. गुरुवार रात टीम ने मास्टरमाइंड मोहम्मद नसीम के घर पर छापा मारा. मौके से सेलाइन वॉटर से तैयार खून, ब्लड बैग, रैपर व अन्य सामान बरामद हुआ. मौके से नसीम के साथ ही बाराबंकी निवासी राघवेंद्र प्रताप सिंह, सआदगंज निवासी राशिद अली, बहराइच निवासी पंकज कुमार त्रिपाठी और निशातगंज निवासी हनी निगम को गिरफ्तार किया.

 

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पानी मिलाकर बनाते थे 2-3 यूनिट 
एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि ये गिरोह प्रफेशनल लोगों का ब्लड निकालता था. नशे के लती ऐसे लोगों को 100 से 200 रुपये में लाया जाता और उनका ब्लड निकाला जाता. उसके बाद इस एक यूनिट ब्लड में सलाइन वॉटर, सादा पानी या दूसरी प्रकार के लिक्विड मिलाकर दो या तीन यूनिट ब्लड तैयार किया जाता था. डॉक्टरों ने बताया कि प्रफेशनल डोनरों के ब्लड में अधिकांश संक्रमण पाया जाता है. इनका ब्लड संक्रमित होता है इसलिए अस्पतालों और रेप्युटेड मेडिकल संस्थानों में इनका ब्लड नहीं लिया जाता है. यह गिरोह बिना किसी संक्रमण की जांच के ही ब्लड निकालकर मरीजों को बेचता था.

 

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ऐसे करते थे खून का सौदा 
एसटीएफ ने बताया कि गिरोह के दलाल अस्पतालों के अंदर और बाहर घूमते रहते थे. वह यहां ऐसे मरीज के तीमारदार को पकड़ते थे जिन्हें ब्लड की आवश्यकता होती थी. इतना ही नहीं ये ऐसे मरीजों को तीमारदारों को अपने जाल में फंसाते थे, जो ज्यादा शिक्षित नहीं होते थे या ग्रामीण इलाकों के होते थे. एक ब्लड यूनिट का सौदा 2000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक होता था. छापेमारी में एसटीएफ को मौके से लखनऊ के कई प्रतिष्ठित और बड़े ब्लड बैंकों के रैपर मिले हैं. गिरोह के लोग ब्लड बनाने के बाद उसके ऊपर यही रैपर प्रयोग करते थे.

 

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एसटीएफ पूरे प्रदेश में चल रहे इस काले कारोबार को एफएसडीए की मदद से जांच करेगी. एसटीएफ के अनुसार लखनऊ में हुई रेड के बाद पता चला है कि ये काला कारोबार प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी फैला हो सकता है. इस प्रकरण के सामने आने के बाद एसटीएफ सतर्क हो चुकी है लखनऊ से शुरू हुई यह जाँच अब पूरे प्रदेश में होगी.

 

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